कभी-कभी समय भी किसी के साथ ऐसा खेल करता है कि वह लंबे समय तक भुलाए नहीं भूलता। बारह जून जिस दिन पिता विवेक शुक्ला जन्मे उसी बारह जून को उन्हें बबलू रूप में पुत्र की प्राप्ति हुई। पिता पुत्र का जन्मदिन एक दी दिन पड़ता था। दोनों एक साथ अपना जन्मदिन मानते थे। एक ही केक आता था, एक ही चाकू केक काटने के लिए आता था।