कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व होता है। इस एकादशी को देवउठनी, देवोत्थान, ठिठूअन और देवप्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाता है। देवउठनी एकादशी के बारे में मान्यता है कि भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा के बाद इसी तिथि पर जागते हैं। यह एकादशी दिवाली के बाद मनाई जाती है। देवउठनी पर भगवान विष्णु के जागने के बाद सभी तरह के मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। इस तिथि पर तुलसी विवाह भी किया जाता है। सभी एकादशियों में देवउठनी एकादशी व्रत को अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है। इसी के साथ चतुर्मास भी समाप्त हो जाएगा। देवउठनी एकादशी के बाद विवाह कार्यक्रम फिर से आरंभ हो जाएंगे।
25 नवंबर को देवउठनी एकादशी, शुभ संयोग, तिथि और तुलसी विवाह की पौराणिक कथा
25 नवंबर को देवउठनी एकादशी, शुभ संयोग, तिथि और तुलसी विवाह की पौराणिक कथा