यह व्रत पूरी तरह से पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाता है, लेकिन सुख-सौभाग्य के लिए भगवान की पूजा के साथ बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना भी जरुरी होता है। इसलिए इस दिन किसी भी बुजुर्ग महिला या अपनी सास आदि का अपमान भूलकर भी न करें। अगर आप ऐसा करती हैं तो व्रत पूर्ण नहीं होता है।