सभी नौ ग्रहों में सबसे धीमी चाल चलने वाले शनि ग्रह होते हैं। यह एक राशि में करीब ढाई वर्षों तक रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार किसी भी जातक की कुंडली में शनि के होने और न होने का विशेष प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय के देवता कहा गया है। शनि व्यक्ति को उनके द्वारा किए गए कार्यो के अनुसार ही शुभ और अशुभ दोनों तरह के फल देते हैं। ज्योतिष में शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रकोप बहुत ही बुरा और परेशानियों से भरा होता है। जिन जातकों की कुंडली में शनि शुभ घर में रहते हैं, शनिदेव ऐसे जातकों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। वहीं जिन जातकों की शनि की टेढ़ी नजर रहती है उन्हें तमाम तरह की मुसीबतें पीछा करने लगती हैं।
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