22 घंटे तक चले रेस्क्यू के बाद भी एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मासूम की जान नहीं बचा सकीं। गुरुवार सुबह 8 बजकर 44 मिनट पर बोरवेल से घनेंद्र को बाहर निकाला गया। जिसके बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
चार साल का मासूम घनेंद्र अपने ही खेत में खुले पड़े बोरवेल में गिर गया था। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने मौके पर पहुंचकर राहत व बचाव का काम शुरू कराया था। इस दौरान खेत में मौजूद मासूम के पिता भागीरथ कुशवाहा, मां क्रांति देवी, दोनों बहनें नित्या व रेखा के अलावा दादी आशारानी, बाबा कालीचरन दोपहर से देररात तक मौके पर डटे रहे थे।
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम मौके पर पहुंची। टीम ने टनल बनाने का काम शुरू कर दिया है। गांव के लोग और रिश्तेदार इन लोगों को ढांढस बंधाते रहे कि भगवान पर विश्वास रखें, घनेंद्र सकुशल बोरवेल से निकल आएगा, पर जैसे-जैसे रात होने लगी, वैसे-वैसे ही परिवार को अनहोनी की आशंका भी सताने लगी।
इसके बाद घनेंद्र की मां, दादी, बड़ी बहन नित्या खेत में ही उसके सकुशल बोरवेल निकलने के लिए हाथ जोड़कर बैठ गईं। सभी भगवान से घनेंद्र की जान की रक्षा के लिए प्रार्थना करती रहीं।