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शीत सत्र को टालने का फैसला लेने से पहले विपक्ष ने जयराम सरकार को उलझा दिया है। सर्वदलीय बैठक के बाहर जहां विपक्ष के विधायक सत्र को टालने का दबाव बनाते रहे, जबकि बैठक में कहा कि विपक्ष सत्र चलाने के पक्ष में है। अब यह सरकार तय करे कि इसे शिमला में करवाना है या धर्मशाला में। कोरोना संकट के बीच तपोवन में सात दिसंबर से होने वाले शीत सत्र को सरकार मार्च तक टालना चाह रही थी।
अब इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर या मंत्रिमंडल ही अंतिम फैसला लेगा। प्रदेश विधानसभा परिसर में शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, माकपा विधायक राकेश सिंघा और निर्दलीय विधायक होशियार सिंह मौजूद हुए। मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि इसमें सबकी राय ली गई। राय सत्र को बुलाने के बारे में आई है। हालांकि, यह बात आई है कि सत्र को धर्मशाला के बजाय शिमला में भी किया जा सकता है।
यह सरकार को ही तय करने को कहा गया है कि वह क्या करना चाहती है। इस तरह विपक्ष ने गेंद सरकार के पाले में डाल दी है। अब सरकार की उलझन यह है कि यह सत्र अगर धर्मशाला के तपोवन में नहीं होता है तो इससे एक परंपरा टूटेगी। कांगड़ा और शिमला दोनों ही कंटेनमेंट जिले घोषित किए गए हैं। यहां कर्फ्यू तक लगाए गए हैं। ऐसे में संक्रमण से बचते हुए सत्र का आयोजन करना आसान नहीं है।
बाहर कांग्रेस विधायक ही कर रहे सत्र बुलाने का विरोध
लगता है कि इस मुद्दे पर भी विपक्ष बिखरा हुआ है। बाहर कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सुुक्खू इस बारे में विरोध भी जता चुके हैं कि कोरोना काल में सत्र को बुलाने का अभी कोई औचित्य नहीं है। इसे आगे भी टाला जा सकता है। दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री की राय कुछ और ही है। वह सत्र का आयोजन करवाने के पक्ष में हैं।
शीत सत्र को टालने का फैसला लेने से पहले विपक्ष ने जयराम सरकार को उलझा दिया है। सर्वदलीय बैठक के बाहर जहां विपक्ष के विधायक सत्र को टालने का दबाव बनाते रहे, जबकि बैठक में कहा कि विपक्ष सत्र चलाने के पक्ष में है। अब यह सरकार तय करे कि इसे शिमला में करवाना है या धर्मशाला में। कोरोना संकट के बीच तपोवन में सात दिसंबर से होने वाले शीत सत्र को सरकार मार्च तक टालना चाह रही थी।
अब इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर या मंत्रिमंडल ही अंतिम फैसला लेगा। प्रदेश विधानसभा परिसर में शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, माकपा विधायक राकेश सिंघा और निर्दलीय विधायक होशियार सिंह मौजूद हुए। मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि इसमें सबकी राय ली गई। राय सत्र को बुलाने के बारे में आई है। हालांकि, यह बात आई है कि सत्र को धर्मशाला के बजाय शिमला में भी किया जा सकता है।
यह सरकार को ही तय करने को कहा गया है कि वह क्या करना चाहती है। इस तरह विपक्ष ने गेंद सरकार के पाले में डाल दी है। अब सरकार की उलझन यह है कि यह सत्र अगर धर्मशाला के तपोवन में नहीं होता है तो इससे एक परंपरा टूटेगी। कांगड़ा और शिमला दोनों ही कंटेनमेंट जिले घोषित किए गए हैं। यहां कर्फ्यू तक लगाए गए हैं। ऐसे में संक्रमण से बचते हुए सत्र का आयोजन करना आसान नहीं है।
बाहर कांग्रेस विधायक ही कर रहे सत्र बुलाने का विरोध
लगता है कि इस मुद्दे पर भी विपक्ष बिखरा हुआ है। बाहर कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सुुक्खू इस बारे में विरोध भी जता चुके हैं कि कोरोना काल में सत्र को बुलाने का अभी कोई औचित्य नहीं है। इसे आगे भी टाला जा सकता है। दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री की राय कुछ और ही है। वह सत्र का आयोजन करवाने के पक्ष में हैं।