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कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले 9 माह से मैकलोडगंज स्थित अपने निवास से बाहर नहीं निकले धर्मगुरु दलाईलामा ने शुक्रवार को घर के बाहर मैदान में खिली धूप का आनंद लिया। दलाईलामा ने खिली धूप में शारीरिक अभ्यास भी किया। इस दौरान धर्मगुरु ने काफी देर तक धौलाधार की खूबसूरती निहारी।
दलाईलामा को प्रकृति को निहारने के पलों को उनकी सेवा में लगे बौद्ध भिक्षुओं ने अपने कैमरे में कैद कर लिया। यह पहला मौका था कि दलाईलामा का कोई फोटो उनके घर के बाहर पिछले 9 महीने में पहली बार खींचा गया हो। दलाईलामा दफ्तर के निजी सचिव सेटन सामदुप ने कहा कि धर्मगुरु मैकलोडगंज स्थित अपने निवास के बाहर धौलाधार की खूबसूरती को निहार रहे थे। इन पलों को बौद्ध भिक्षुओं ने अपने कैमरे में कैद कर लिया।
कोरोना महामारी फैलने के बाद 85 वर्षीय धर्मगुरु दलाईलामा ने सभी सामाजिक कार्यक्रम रद्द कर किसी भी बाहरी व्यक्ति से नहीं मिलने का निर्णय लिया था। पिछले 9 महीने से दलाईलामा अपने दफ्तर के निजी सचिवों तक से नहीं मिले हैं। डॉक्टरों की सलाह के चलते निवास के भीतर ही अपने दफ्तर तक धर्मगुरु नहीं आए हैं।
निवास के भीतरी हिस्से में दलाईलामा के पास सिर्फ डॉक्टर और 4 सेवादारों को ही रहने की इजाजत है। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति दलाईलामा से न तो मिल सकता है न ही उनके पास जा सकता है। मार्च और अप्रैल माह में तो दलाईलामा बिल्कुल अज्ञातवास जैसे माहौल में थे।
कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले 9 माह से मैकलोडगंज स्थित अपने निवास से बाहर नहीं निकले धर्मगुरु दलाईलामा ने शुक्रवार को घर के बाहर मैदान में खिली धूप का आनंद लिया। दलाईलामा ने खिली धूप में शारीरिक अभ्यास भी किया। इस दौरान धर्मगुरु ने काफी देर तक धौलाधार की खूबसूरती निहारी।
दलाईलामा को प्रकृति को निहारने के पलों को उनकी सेवा में लगे बौद्ध भिक्षुओं ने अपने कैमरे में कैद कर लिया। यह पहला मौका था कि दलाईलामा का कोई फोटो उनके घर के बाहर पिछले 9 महीने में पहली बार खींचा गया हो। दलाईलामा दफ्तर के निजी सचिव सेटन सामदुप ने कहा कि धर्मगुरु मैकलोडगंज स्थित अपने निवास के बाहर धौलाधार की खूबसूरती को निहार रहे थे। इन पलों को बौद्ध भिक्षुओं ने अपने कैमरे में कैद कर लिया।
कोरोना महामारी फैलने के बाद 85 वर्षीय धर्मगुरु दलाईलामा ने सभी सामाजिक कार्यक्रम रद्द कर किसी भी बाहरी व्यक्ति से नहीं मिलने का निर्णय लिया था। पिछले 9 महीने से दलाईलामा अपने दफ्तर के निजी सचिवों तक से नहीं मिले हैं। डॉक्टरों की सलाह के चलते निवास के भीतर ही अपने दफ्तर तक धर्मगुरु नहीं आए हैं।
निवास के भीतरी हिस्से में दलाईलामा के पास सिर्फ डॉक्टर और 4 सेवादारों को ही रहने की इजाजत है। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति दलाईलामा से न तो मिल सकता है न ही उनके पास जा सकता है। मार्च और अप्रैल माह में तो दलाईलामा बिल्कुल अज्ञातवास जैसे माहौल में थे।