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विकास खंड मैहला के छोटे स गांव बंदला गांव की रहने वाली हिमानी ठाकुर का चयन एमबीबीएस के लिए हुआ है। इससे पूरे इलाके में खुशी की लहर है। हिमानी ठाकुर एक विशेषज्ञ बनकर अपने क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देना चाहती हैं। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने एमबीबीएस में चयन के लिए कड़ी मेहनत की। प्रदेश में हिमानी ठाकुर ने 32वां स्थान स्थान प्राप्त किया है।
अभी तक उन्हें एमबीबीएस कोर्स के लिए मेडिकल कॉलेज का आवंटन नहीं हुआ है। हिमानी ठाकुर ने पिता जगदीश कुमार वन विभाग में डिप्टी रेंजर के पद पर तैनात हैं। जबकि माता गृहिणी हैं। हिमानी ठाकुर ने अपनी बारहवीं तक की पढ़ाई डीएवी स्कूल चंबा से हासिल की। उन्हें बचपन से ही डॉक्टर बनने का शौक था। इसके चलते उन्होंने प्रोफेशन के रूप में भी चिकित्सा के क्षेत्र को अपनाने का निर्णय लिया है।
वह एमबीबीएस के बाद विशेषज्ञ बनकर जिले के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं देना चाहती है, जिससे जिले के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सके। पिता जगदीश कुमार का कहना है कि उनकी बेटी हिमानी खेलकूद से ज्यादा पढ़ाई में रूचि रखती थी। उसने बचपन में ही ठान लिया था कि वह डॉक्टर बनेंगी। इसके लिए उसने कड़ी मेहनत की और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। बेटी की इस सफलता से माता भी फूले नहीं समा रही हैं वहीं घर पर बधाइयों का तांता लगा है।
विकास खंड मैहला के छोटे स गांव बंदला गांव की रहने वाली हिमानी ठाकुर का चयन एमबीबीएस के लिए हुआ है। इससे पूरे इलाके में खुशी की लहर है। हिमानी ठाकुर एक विशेषज्ञ बनकर अपने क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देना चाहती हैं। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने एमबीबीएस में चयन के लिए कड़ी मेहनत की। प्रदेश में हिमानी ठाकुर ने 32वां स्थान स्थान प्राप्त किया है।
अभी तक उन्हें एमबीबीएस कोर्स के लिए मेडिकल कॉलेज का आवंटन नहीं हुआ है। हिमानी ठाकुर ने पिता जगदीश कुमार वन विभाग में डिप्टी रेंजर के पद पर तैनात हैं। जबकि माता गृहिणी हैं। हिमानी ठाकुर ने अपनी बारहवीं तक की पढ़ाई डीएवी स्कूल चंबा से हासिल की। उन्हें बचपन से ही डॉक्टर बनने का शौक था। इसके चलते उन्होंने प्रोफेशन के रूप में भी चिकित्सा के क्षेत्र को अपनाने का निर्णय लिया है।
वह एमबीबीएस के बाद विशेषज्ञ बनकर जिले के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं देना चाहती है, जिससे जिले के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सके। पिता जगदीश कुमार का कहना है कि उनकी बेटी हिमानी खेलकूद से ज्यादा पढ़ाई में रूचि रखती थी। उसने बचपन में ही ठान लिया था कि वह डॉक्टर बनेंगी। इसके लिए उसने कड़ी मेहनत की और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। बेटी की इस सफलता से माता भी फूले नहीं समा रही हैं वहीं घर पर बधाइयों का तांता लगा है।