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कोरोना काल में सरकार की ओर से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के दावों की पोल रामपुर का खनेरी अस्पताल खोल रहा है। यहां टॉर्च की रोशनी में मरीजों की जांच और इलाज होता है। बत्ती गुल होते ही अस्पताल के वार्डों और स्टाफ के कमरों में अंधेरा पसर जाता है। इतने बड़े अस्पताल में जेनरेटर तक की व्यवस्था नहीं है। यहां हर रोज बत्ती गुल होना आम बात हो गई है। शुक्रवार को भी सुबह 11 बजे बिजली चली गई।
2 बजे आपूर्ति बहाल हुई। इस दौरान अंधेरा छाया जा रहा है। इसके बाद भी बिजली कट लगा। नर्सों के अलावा दूसरे स्टाफ को भी अंधेरे या फिर टॉर्च की रोशनी में काम निपटाना पड़ा। अस्पताल में कई दिनों से बत्ती गुल हो रही है। शिमला, किन्नौर, कुल्लू और मंडी जिले से रोजाना खनेरी अस्पताल में मरीज उपचार करवाने के लिए पहुंचते हैं। अस्पताल में रोजाना एक हजार से अधिक की ओपीडी रहती है।
दो सौ बेडों की व्यवस्था वाले इस अस्पताल में दर्जनों मरीज हर दिन भर्ती किए जाते हैं। हैरानी है कि यहां जेनरेटर तक नहीं है। कुछ समय पहले ही अस्पताल में जेनरेटर की व्यवस्था की गई थी, लेकिन इसकी बैटरी फट गई है। इसे अब तक ठीक नहीं किया गया। अनिल नेगी, रविंद्र सिंह, संजीव कुमार, जय सिंह, बिशन सिंह, रामेश्वर सिंह, राज कुमार सहित अन्य लोगों ने कहा कि अस्पताल में बिजली कट के दौरान वैकल्पिक व्यवस्था न होने से मरीजों को परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।
आए दिन लग रहे बिजली कटों से अस्पताल में अंधेरा पसर जाता है। खनेरी अस्पताल के एमएस नरेंद्र मेहता ने बताया कि समस्या उनके ध्यान में है। कुछ दिन पहले जेनरेटर की बैटरी फट गई थी। नई बैटरी खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। हफ्ते भर में समस्या का समाधान कर दिया जाएगा।
कोरोना काल में सरकार की ओर से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के दावों की पोल रामपुर का खनेरी अस्पताल खोल रहा है। यहां टॉर्च की रोशनी में मरीजों की जांच और इलाज होता है। बत्ती गुल होते ही अस्पताल के वार्डों और स्टाफ के कमरों में अंधेरा पसर जाता है। इतने बड़े अस्पताल में जेनरेटर तक की व्यवस्था नहीं है। यहां हर रोज बत्ती गुल होना आम बात हो गई है। शुक्रवार को भी सुबह 11 बजे बिजली चली गई।
2 बजे आपूर्ति बहाल हुई। इस दौरान अंधेरा छाया जा रहा है। इसके बाद भी बिजली कट लगा। नर्सों के अलावा दूसरे स्टाफ को भी अंधेरे या फिर टॉर्च की रोशनी में काम निपटाना पड़ा। अस्पताल में कई दिनों से बत्ती गुल हो रही है। शिमला, किन्नौर, कुल्लू और मंडी जिले से रोजाना खनेरी अस्पताल में मरीज उपचार करवाने के लिए पहुंचते हैं। अस्पताल में रोजाना एक हजार से अधिक की ओपीडी रहती है।
दो सौ बेडों की व्यवस्था वाले इस अस्पताल में दर्जनों मरीज हर दिन भर्ती किए जाते हैं। हैरानी है कि यहां जेनरेटर तक नहीं है। कुछ समय पहले ही अस्पताल में जेनरेटर की व्यवस्था की गई थी, लेकिन इसकी बैटरी फट गई है। इसे अब तक ठीक नहीं किया गया। अनिल नेगी, रविंद्र सिंह, संजीव कुमार, जय सिंह, बिशन सिंह, रामेश्वर सिंह, राज कुमार सहित अन्य लोगों ने कहा कि अस्पताल में बिजली कट के दौरान वैकल्पिक व्यवस्था न होने से मरीजों को परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।
आए दिन लग रहे बिजली कटों से अस्पताल में अंधेरा पसर जाता है। खनेरी अस्पताल के एमएस नरेंद्र मेहता ने बताया कि समस्या उनके ध्यान में है। कुछ दिन पहले जेनरेटर की बैटरी फट गई थी। नई बैटरी खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। हफ्ते भर में समस्या का समाधान कर दिया जाएगा।