धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Wed, 02 Dec 2020 07:30 AM IST
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हिन्दू पौराणिक शास्त्रों के में मंत्र जाप का बहुत महत्व बताया गया है। मंत्र जाप के लिए कई तरह की मालाओं का उपयोग किया जाता है। लेकिन सभी मालाओं में एक समानता होती है, वह है उसमें दानों की संख्या 108 होती है। शास्त्रों में 108 संख्या का अत्यधिक महत्व माना गया है। इसका धार्मिक महत्व होने के साथ ही ज्योतिष और वैज्ञानिक महत्व भी माना जाता है। जानते हैं माला के 108 मनको का महत्व..
हिंदू धर्म में मंत्र जाप के लिए तुलसी, रुद्राक्ष और स्फटिक आदि की माला का प्रयोग किया जाता है। मंत्र जाप के लिए शांत वातावरण, आसन और माला का होना बहुत आवश्यक होता है। शास्त्रों के अनुसार संख्याहीन मंत्र जाप का कोई महत्व नहीं रहता है और न ही फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि माला से मंत्र जाप करने पर मन की मनोकामना जल्दी ही पूर्ण होती है।
शास्त्रों के अनुसार माला के 108 मनको का संबंध व्यक्ति की सांसो से माना गया है। एक स्वस्थय व्यक्ति दिन और रात के 24 घंटो में लगभग 21600 बार श्वास लेता है। माना जाता है कि 24 घंटों में से 12 घंटे मनुष्य अपने दैनिक कार्यों में व्यतीत कर देता है और शेष 12 घंटों में व्यक्ति लगभग10800 सांस लेता है। शास्त्रों के अनुसार एक मनुष्य को दिन में 10800 ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। लेकिन एक सामान्य मनुष्य के लिए इतना कर पाना संभव नहीं हो पाता है। इसलिए दो शून्य हटाकर जप के लिए 108 की संख्या शुभ मानी गई है। जिसके कारण जाप की माला में मनको की संख्या भी 108 होती है।
108 का वैज्ञानिक महत्व
अगर वैज्ञानिक तथ्य की बात की जाए तो माला के 108 दाने और सूर्य की कलाओं का संबंध माना गया है। एक वर्ष में सूर्य की 216000 कलाएं बदलती हैं। छह माह उत्तरायण रहता है तो वहीं छह माह दक्षिणायन रहता है। इस तरह से छः माह में सूर्य की कलाएं 108000 बार बदलती हैं। इसी तरह से अंत के तीन शून्य को अगर हटा दिया जाए तो 108 की संख्या बचती है। 108 मनको को सूर्य की कलाओं का प्रतीक माना जाता है।
हिन्दू पौराणिक शास्त्रों के में मंत्र जाप का बहुत महत्व बताया गया है। मंत्र जाप के लिए कई तरह की मालाओं का उपयोग किया जाता है। लेकिन सभी मालाओं में एक समानता होती है, वह है उसमें दानों की संख्या 108 होती है। शास्त्रों में 108 संख्या का अत्यधिक महत्व माना गया है। इसका धार्मिक महत्व होने के साथ ही ज्योतिष और वैज्ञानिक महत्व भी माना जाता है। जानते हैं माला के 108 मनको का महत्व..
प्रतीकात्मक तस्वीर
हिंदू धर्म में मंत्र जाप के लिए तुलसी, रुद्राक्ष और स्फटिक आदि की माला का प्रयोग किया जाता है। मंत्र जाप के लिए शांत वातावरण, आसन और माला का होना बहुत आवश्यक होता है। शास्त्रों के अनुसार संख्याहीन मंत्र जाप का कोई महत्व नहीं रहता है और न ही फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि माला से मंत्र जाप करने पर मन की मनोकामना जल्दी ही पूर्ण होती है।
प्रतीकात्मक तस्वीर
शास्त्रों के अनुसार माला के 108 मनको का संबंध व्यक्ति की सांसो से माना गया है। एक स्वस्थय व्यक्ति दिन और रात के 24 घंटो में लगभग 21600 बार श्वास लेता है। माना जाता है कि 24 घंटों में से 12 घंटे मनुष्य अपने दैनिक कार्यों में व्यतीत कर देता है और शेष 12 घंटों में व्यक्ति लगभग10800 सांस लेता है। शास्त्रों के अनुसार एक मनुष्य को दिन में 10800 ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। लेकिन एक सामान्य मनुष्य के लिए इतना कर पाना संभव नहीं हो पाता है। इसलिए दो शून्य हटाकर जप के लिए 108 की संख्या शुभ मानी गई है। जिसके कारण जाप की माला में मनको की संख्या भी 108 होती है।
प्रतीकात्मक तस्वीर
108 का वैज्ञानिक महत्व
अगर वैज्ञानिक तथ्य की बात की जाए तो माला के 108 दाने और सूर्य की कलाओं का संबंध माना गया है। एक वर्ष में सूर्य की 216000 कलाएं बदलती हैं। छह माह उत्तरायण रहता है तो वहीं छह माह दक्षिणायन रहता है। इस तरह से छः माह में सूर्य की कलाएं 108000 बार बदलती हैं। इसी तरह से अंत के तीन शून्य को अगर हटा दिया जाए तो 108 की संख्या बचती है। 108 मनको को सूर्य की कलाओं का प्रतीक माना जाता है।