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शास्त्रों और पुराणों में लाखों, करोड़ों मंत्रों को उल्लेख किया गया है। इन मंत्रों के बारे में कहा जाता है कि इनका संबंध किसी न किसी देवी-देवता या प्रकृति की उन शक्तियों से है जिनसे आप अपनी इच्छा की पूर्ति कर सकते हैं। कुछ मंत्र जहां आपको लाभ पहुंचाने का काम करते हैं तो कुछ की शक्तियों से दूसरों को तकलीफ भी पहुंचाया जाता है।
यानी जिस तरह धरती पर अच्छे और बुरे सोच वाले लोग हैं उसी तरह मंत्र भी सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालने वाले होते हैं। प्राचीन काल में मंत्रों की शक्ति से लोग आसमान में उड़ सकते थे तो अदृश्य होकर कहीं भी जा सकते थे। मंत्रों से धन की वर्षा करवा देते थे तो मंत्रों से इन्द्र को जल बरसाने के लिए विवश कर देते थे।
लेकिन आज कल बहुत से लोग मंत्रों की शक्तियों पर यकीन नहीं करते उन्हें लगता है कि तंत्र-मंत्र से कुछ नहीं होता। इसका कारण भी है क्योंकि कई ढ़ोंगी व्यक्ति साधु बनकर मंत्रों से चमत्कार करने का दिखावा करते हैं जो वास्तव में सच नहीं होता।
जबकि मंत्रों की शक्ति का सच तो विज्ञान ने भी माना है। विज्ञान ने भी माना है कि सही प्रकार से मंत्रों का उच्चारण किया जाए तो उससे कंपित होने वाली उर्जा चमत्कार कर दिखाती है। तो आइये जानें मंत्रों की चमत्कारी शक्तियों का राज।
मंत्रों के बारे में ऊल जलूल दावों और फर्जीवाडे़ की वजह से लोगों का विश्वास भले ही लड़खड़ाया हो पर ब्रिटेन की बीएफ. गुडरिच कंपनी के रिसर्च डाइरेक्टर डॉ. एल सेमान का कहना है कि यह विद्या ढकोसला नहीं है। मंत्रों के नाम पर जालसाजी की जा सकती है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं हैं कि मंत्र विद्या का आधार फर्जी है।
सेमान जांच परख रहे हैं कि मंत्रों अर्थात सूक्ष्म ध्वनि से हजारों अरबों किमी दूर स्थित ग्रह नक्षत्रों को कैसे प्रभावित किया जा सकता है। सेमान का कहना है कि एक सेकंड में पांच करोड़ से ज्यादा कंपन वाली ध्वनि तरंगे पैदा की जा सकती हैं। इस प्रयोग के दौरान वहां मौजूद वैज्ञानिकों के कपड़े गर्म हो उठे। वहां मौजूद लोग अलग नहीं हट जाते या कंम्पन थोड़ा और बढ़ता तो तो उनके शरीर या पहने हुए कपड़े भी जलने लगते।
जप और ध्यान में ध्वनि के कपंन और शब्दों का ही उपयोग होता है। यब प्रक्रिया किस तरह काम करती है फिलहाल इसे व्यक्त नहीं किया जा सकता। डा.एल सोमान का कहना है कि जो शक्ति उत्पन्न होती है, उसे संचित किया जा सके या समन्वित रूप से उपयोग हो सके तो सृष्टि के विराटतम और अत्यंत सूक्ष्म इकाई अणु को भी छेदा जा सकता है।
ध्वनि की या मंत्र की सूक्ष्म शक्ति के प्रयोग परीक्षण में उम्मीद की जा रही है कि न सुनी और न महसूस होने वाले ध्वनि कंपनों से जल्दी ही उस मुकाम तक पहुंचा जा सकेगा, जहां की कल्पना मंत्रों की चमत्कारी क्षमता के रूप में की जाती है।
इटली के जीव विशेषज्ञ स्पालानजानी ने चमगादड़ को अंधा करके उड़ाया। वह अपनी स्वाभाविक विशेषता के अनुसार घने अंधकार में सैकड़ों बाधाओं को पार करता हुआ, बराबर एक ही गति से उड़ता रहता है।
किसी भी डोरे से टकराता नहीं। स्पालानजानी ने चमगादड़ के मुँह, तथा नाक बन्द करके परीक्षण किये तो एक बात स्पष्ट हो गई कि चमगादड़ बाधाओं को पार करने में कर्णातीत ध्वनि का उपयोग करता है।
गहरे परीक्षणों के बाद यह तथ्य सामने आया कि चमगादड़ भागते समय हलकी चीख निकालता है वह वस्तु से प्रतिध्वनित होकर लौटती है और चमगादड़ के “रेटीक्युलर फार्मेशन” (मस्तिष्क का वह भाग जहाँ हिन्दू चोटी रखते हैं) की संवेदनशील नाड़ियों के जरिए सूचना दे देती हैं कि वस्तु कैसी है, किस दिशा में है आदि। मंत्रजप के दौरान भी कर्णातीत ध्वनि निकलती है।
जप के अलग अलग स्तर हैं, वाचिक, (सुनी जा सकते वाली) उपांशु (ध्वनि रहित) और मौन या मानसिक जप। इन सभी स्तरों पर ध्वनि की शक्ति बढ़ती हैं। इस तरह के जप में भावनाओं का जितना समावेश होता है, ऊर्जा का विस्फोट भी उसी स्तर का होता चलता है।
ध्वनि की शक्ति भी उतनी ही तीव्रता से यह आकाश के परमाणुओं को कंपाती हुई ध्यान वाले स्थान तक दौड़ी चली जाती है। फिलहाल यह मंत्रों की सूक्ष्म अतिसूक्ष्म शक्तियों का परिचय है। इस विज्ञान के और भी आयाम हैं।
शास्त्रों और पुराणों में लाखों, करोड़ों मंत्रों को उल्लेख किया गया है। इन मंत्रों के बारे में कहा जाता है कि इनका संबंध किसी न किसी देवी-देवता या प्रकृति की उन शक्तियों से है जिनसे आप अपनी इच्छा की पूर्ति कर सकते हैं। कुछ मंत्र जहां आपको लाभ पहुंचाने का काम करते हैं तो कुछ की शक्तियों से दूसरों को तकलीफ भी पहुंचाया जाता है।
यानी जिस तरह धरती पर अच्छे और बुरे सोच वाले लोग हैं उसी तरह मंत्र भी सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालने वाले होते हैं। प्राचीन काल में मंत्रों की शक्ति से लोग आसमान में उड़ सकते थे तो अदृश्य होकर कहीं भी जा सकते थे। मंत्रों से धन की वर्षा करवा देते थे तो मंत्रों से इन्द्र को जल बरसाने के लिए विवश कर देते थे।
लेकिन आज कल बहुत से लोग मंत्रों की शक्तियों पर यकीन नहीं करते उन्हें लगता है कि तंत्र-मंत्र से कुछ नहीं होता। इसका कारण भी है क्योंकि कई ढ़ोंगी व्यक्ति साधु बनकर मंत्रों से चमत्कार करने का दिखावा करते हैं जो वास्तव में सच नहीं होता।
जबकि मंत्रों की शक्ति का सच तो विज्ञान ने भी माना है। विज्ञान ने भी माना है कि सही प्रकार से मंत्रों का उच्चारण किया जाए तो उससे कंपित होने वाली उर्जा चमत्कार कर दिखाती है। तो आइये जानें मंत्रों की चमत्कारी शक्तियों का राज।
यूं करते हैं मंत्र चमत्कार
मंत्रों के बारे में ऊल जलूल दावों और फर्जीवाडे़ की वजह से लोगों का विश्वास भले ही लड़खड़ाया हो पर ब्रिटेन की बीएफ. गुडरिच कंपनी के रिसर्च डाइरेक्टर डॉ. एल सेमान का कहना है कि यह विद्या ढकोसला नहीं है। मंत्रों के नाम पर जालसाजी की जा सकती है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं हैं कि मंत्र विद्या का आधार फर्जी है।
सेमान जांच परख रहे हैं कि मंत्रों अर्थात सूक्ष्म ध्वनि से हजारों अरबों किमी दूर स्थित ग्रह नक्षत्रों को कैसे प्रभावित किया जा सकता है। सेमान का कहना है कि एक सेकंड में पांच करोड़ से ज्यादा कंपन वाली ध्वनि तरंगे पैदा की जा सकती हैं। इस प्रयोग के दौरान वहां मौजूद वैज्ञानिकों के कपड़े गर्म हो उठे। वहां मौजूद लोग अलग नहीं हट जाते या कंम्पन थोड़ा और बढ़ता तो तो उनके शरीर या पहने हुए कपड़े भी जलने लगते।
जप और ध्यान में ध्वनि के कपंन और शब्दों का ही उपयोग होता है। यब प्रक्रिया किस तरह काम करती है फिलहाल इसे व्यक्त नहीं किया जा सकता। डा.एल सोमान का कहना है कि जो शक्ति उत्पन्न होती है, उसे संचित किया जा सके या समन्वित रूप से उपयोग हो सके तो सृष्टि के विराटतम और अत्यंत सूक्ष्म इकाई अणु को भी छेदा जा सकता है।
तीन तरह से काम करते हैं यह मंत्र
ध्वनि की या मंत्र की सूक्ष्म शक्ति के प्रयोग परीक्षण में उम्मीद की जा रही है कि न सुनी और न महसूस होने वाले ध्वनि कंपनों से जल्दी ही उस मुकाम तक पहुंचा जा सकेगा, जहां की कल्पना मंत्रों की चमत्कारी क्षमता के रूप में की जाती है।
इटली के जीव विशेषज्ञ स्पालानजानी ने चमगादड़ को अंधा करके उड़ाया। वह अपनी स्वाभाविक विशेषता के अनुसार घने अंधकार में सैकड़ों बाधाओं को पार करता हुआ, बराबर एक ही गति से उड़ता रहता है।
किसी भी डोरे से टकराता नहीं। स्पालानजानी ने चमगादड़ के मुँह, तथा नाक बन्द करके परीक्षण किये तो एक बात स्पष्ट हो गई कि चमगादड़ बाधाओं को पार करने में कर्णातीत ध्वनि का उपयोग करता है।
गहरे परीक्षणों के बाद यह तथ्य सामने आया कि चमगादड़ भागते समय हलकी चीख निकालता है वह वस्तु से प्रतिध्वनित होकर लौटती है और चमगादड़ के “रेटीक्युलर फार्मेशन” (मस्तिष्क का वह भाग जहाँ हिन्दू चोटी रखते हैं) की संवेदनशील नाड़ियों के जरिए सूचना दे देती हैं कि वस्तु कैसी है, किस दिशा में है आदि। मंत्रजप के दौरान भी कर्णातीत ध्वनि निकलती है।
जप के अलग अलग स्तर हैं, वाचिक, (सुनी जा सकते वाली) उपांशु (ध्वनि रहित) और मौन या मानसिक जप। इन सभी स्तरों पर ध्वनि की शक्ति बढ़ती हैं। इस तरह के जप में भावनाओं का जितना समावेश होता है, ऊर्जा का विस्फोट भी उसी स्तर का होता चलता है।
ध्वनि की शक्ति भी उतनी ही तीव्रता से यह आकाश के परमाणुओं को कंपाती हुई ध्यान वाले स्थान तक दौड़ी चली जाती है। फिलहाल यह मंत्रों की सूक्ष्म अतिसूक्ष्म शक्तियों का परिचय है। इस विज्ञान के और भी आयाम हैं।