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बंगलूरू की Gnani.ai नाम की एक फर्म ने अब एक ऐसे स्पीच रिकॉग्निशन सिस्टम को पेश किया है जो कि देश की सीमाओं पर भाषा की समस्या का सबसे बड़ा समाधान साबित होगा। बता दें कि इसी फर्म ने पिछले साल भारतीय सेना को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दिया है जिसका इस्तेमाल पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किया जा रहा है।
Gnani.ai द्वारा विकसित नया ऑटोमेटिक स्पीच रिकॉग्निशिन (ASR), मशीन ट्रांसलेशन और स्पीच-टू-टेक्स्ट सिस्टम मंदारिन को अंग्रेजी में अनुवाद बदलने में माहिर है। बता दें कि मंदारिन (Mandarin) एक चाइनीज भाषा है। फर्म ने इस सिस्टम को खासतौर पर सशस्त्र बलों, खुफिया एजेंसियों और स्थानीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों के लिए डिजाइन किया गया है ताकि सीमा पर उन्हें बातचीत करने में आसानी हो।
Gnani.ai ने इन सिस्टम को तैयार करने के लिए मंदारिन भाषा के ऑडियो डाटा का 8,000 घंटे से भी अधिक बार टेस्ट किया है। इन डाटा का इस्तेमाल मशीन को ट्रेंड करने के लिए किया गया है। इसकी जानकारी Gnani.ai के को-फाउंडर अनंत नागराज ने दी है।
इस सिस्टम का इस्तेमाल क्रॉस बॉर्डर इंटेलिजेंस, वॉइस सर्विलांस, मॉनिटरिंग टेलीफोन/इंटरनेट कम्युनिकेशन, रेडियो/सैटेलाइट कम्युनिकेशन संचार और बॉर्डर मीटिंग में होगा। फर्म का कहना है कि उसके सिस्टम में न्वाइज रिडक्शन, एक्सेंट आदि को डिटेक्ट करने का फीचर है। इसके अलावा इसमें सभी तरह के ऑडियो फाइल फॉर्मेट का सपोर्ट है।
अनंत नागराज के मुताबिक उनके द्वारा विकसित आर्टिफिशियल इटेलिजेंस सिस्टम की मदद से सेना आतंकियों और दुश्मन सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कोड वर्ड को डीकोड करती है। सिस्टम में आलू और गोबी जैसे कोड भी इनबिल्ट हैं जिनके इस्तेमाल आतंकी आमतौर पर ग्रेनेड के लिए करते हैं। सेना ऐसे लाखों कोड को मिनटों में डीकोड करती है।
नागराज के मुताबिक सेना को मंदारिन भाषा में उतनी दक्षता नहीं है जितनी होनी चाहिए, इसलिए उन्होंने नया स्पीड रिकॉग्निशन सिस्टम तैयार किया है। मंदारिन का इस्तेमाल पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में होता है। उन्होंने बताया कि उनके पास 50 लोगों की टीम है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करती है।
बंगलूरू की Gnani.ai नाम की एक फर्म ने अब एक ऐसे स्पीच रिकॉग्निशन सिस्टम को पेश किया है जो कि देश की सीमाओं पर भाषा की समस्या का सबसे बड़ा समाधान साबित होगा। बता दें कि इसी फर्म ने पिछले साल भारतीय सेना को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दिया है जिसका इस्तेमाल पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किया जा रहा है।
Gnani.ai द्वारा विकसित नया ऑटोमेटिक स्पीच रिकॉग्निशिन (ASR), मशीन ट्रांसलेशन और स्पीच-टू-टेक्स्ट सिस्टम मंदारिन को अंग्रेजी में अनुवाद बदलने में माहिर है। बता दें कि मंदारिन (Mandarin) एक चाइनीज भाषा है। फर्म ने इस सिस्टम को खासतौर पर सशस्त्र बलों, खुफिया एजेंसियों और स्थानीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों के लिए डिजाइन किया गया है ताकि सीमा पर उन्हें बातचीत करने में आसानी हो।
Gnani.ai ने इन सिस्टम को तैयार करने के लिए मंदारिन भाषा के ऑडियो डाटा का 8,000 घंटे से भी अधिक बार टेस्ट किया है। इन डाटा का इस्तेमाल मशीन को ट्रेंड करने के लिए किया गया है। इसकी जानकारी Gnani.ai के को-फाउंडर अनंत नागराज ने दी है।
इस सिस्टम का इस्तेमाल क्रॉस बॉर्डर इंटेलिजेंस, वॉइस सर्विलांस, मॉनिटरिंग टेलीफोन/इंटरनेट कम्युनिकेशन, रेडियो/सैटेलाइट कम्युनिकेशन संचार और बॉर्डर मीटिंग में होगा। फर्म का कहना है कि उसके सिस्टम में न्वाइज रिडक्शन, एक्सेंट आदि को डिटेक्ट करने का फीचर है। इसके अलावा इसमें सभी तरह के ऑडियो फाइल फॉर्मेट का सपोर्ट है।
अनंत नागराज के मुताबिक उनके द्वारा विकसित आर्टिफिशियल इटेलिजेंस सिस्टम की मदद से सेना आतंकियों और दुश्मन सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कोड वर्ड को डीकोड करती है। सिस्टम में आलू और गोबी जैसे कोड भी इनबिल्ट हैं जिनके इस्तेमाल आतंकी आमतौर पर ग्रेनेड के लिए करते हैं। सेना ऐसे लाखों कोड को मिनटों में डीकोड करती है।
नागराज के मुताबिक सेना को मंदारिन भाषा में उतनी दक्षता नहीं है जितनी होनी चाहिए, इसलिए उन्होंने नया स्पीड रिकॉग्निशन सिस्टम तैयार किया है। मंदारिन का इस्तेमाल पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में होता है। उन्होंने बताया कि उनके पास 50 लोगों की टीम है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करती है।