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देश के पहले ई-कोर्ट की दिशा में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कदम बढ़ा दिया है। मुकदमों को पूरी तरह ऑन लाइन करने के लिए स्थापित डिजिटाइजेशन सेंटर ने काम करना शुरू कर दिया है। यह देश का पहला ऐसा केंद्र है मुकदमों की फाइलें स्कैन कर डिजिटल फार्म में तब्दील करेगा। इसका सीधा लाभ आम जनता को मिलेगा। कोई भी अपने मुकदमे की फाइल एक क्लिक में कंप्यूटर पर देख सकेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड ने मंगलवार को मीडिया से इससे जुड़ी जानकारियां साझा की। डिजिटाइजेशन सेंटर का उद्घाटन भारत के मुख्य न्यायाधीश 12 मार्च को शाम को करेंगे।
हाईकोर्ट के मीडिएशन सेंटर के बगल स्थित गर्वनमेंट प्रेस की पुरानी बिल्डिंग में हाईकोर्ट का सेंटर फॉर इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी स्थापित किया गया है। पुराने भवन को आधुनिक रूप में लाने के लिए सिविल इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों ने दिन रात मेहनत की। यह काम चुनौती पूर्ण रहा। सेंटर में करीब एक हजार कर्मचारियों को फाइलें छांटने, वर्गीकृत करने और स्कैन करने के काम में लगाया गया है। पहले चरण में लगभग एक करोड़ निस्तारित मुकदमों की फाइलों को डिजिटाइज करने का लक्ष्य है। एक फाइल के औसतन 50 पेज स्कैन किए जाएंगे। फाइलों से महत्वपूर्ण हिस्से छांटने की जिम्मेदारी न्यायिक अधिकारियों को दी गई है।
मुख्य न्यायमूर्ति ने बताया कि चूंकि हाईकोर्ट कोर्ट ऑफ रिकार्ड होता है, इसलिए दस्तावेजों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया है। सुरक्षा के लिहाज से यह सबसे संवेदनशील केंद्र है। सेंटर में सुरक्षा संबंधी सभी आवश्यक प्रबंध किए गए हैं। डाटा सुरक्षित रखने और बैकअप का भी प्रबंध है। इलाहाबाद और लखनऊ खंडपीठ के सर्वर आपस में जुड़े होंगे और दोनों एक दूसरे का बैकअप रखेंगे। प्राकृतिक आपदा आदि से डाटा नष्ट न होने पाए इसका भी प्रबंध किया गया है। चीफ जस्टिस ने बताया कि दो वर्ष पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट का कार्यभार संभालने के बाद यहां फाइलों के रखरखाव की समस्या देखने को मिली। फाइलों की संख्या इतनी अधिक है कि कहीं भी रखने की जगह नहीं बची। कर्मचारियों की सेहत पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा था। इस समस्या के समाधान के लिए फाइलों को डिजिटाइज करने का निर्णय लिया गया। प्रारंभ में यह काम ट्रिपल आईटी को सौंपा गया था। बाद में स्टॉक होल्डिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया को इसका जिम्मा दिया गया। जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र की समिति डिजिटाइजेशन कार्य की निगरानी कर रही है।
डिजिटाइजेशन सेंटर का कुल क्षेत्रफल 40 हजार वर्ग मीटर है। तीन मंजिला इमारत के भूमितल में 30 लाख फाइलें स्टोर करने की क्षमता है। यहां वीडियो कांफ्रेंसिंग, अधिकारियों के बैठने के चैंबर आदि की व्यवस्था रहेगी। डाटा स्कैनिंग का काम प्रथम तल पर होगा। चौबीस घंटे अबाध बिजली के लिए दो अलग फीडर दिए गए हैं। इसके अलावा ध्वनि रहित दो जनरेटर भी उपलब्ध कराए गए हैं।
डिजिटाइजेशन सेंटर में स्कैनिंग का कार्य पूरा होने के बाद इसे आम लोगों के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा। इंटरनेट की सहायता से हाईकोर्ट की वेबसाइट पर कोई भी व्यक्ति वांछित मुकदमे के संबंध में पूरी जानकारी एक क्लिक पर हासिल कर सकेगा। इससे मुकदमों में पारदर्शिता आएगी और वादकारियों को सूचनाओं लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
मुख्य न्यायमूर्ति ने बताया कि प्रदेश सरकार ने ई-स्टांपिंग को मंजूरी दे दी है। यह काफी सस्ता और सुविधाजनक होगा तथा ई स्टांपिंग से तमाम प्रकार के फ्रॉड को भी रोका जा सकेगा। डिजिटाइजेशन सेंटर के साथ ही ई-कोर्ट प्रोजेक्ट भी काम करेगा जो भविष्य में हाईकोर्ट को पूरी तरह पेपर लेस और ई-कोर्ट बनाने की दिशा में पहला कदम है।
हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में 19 मार्च को कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। लखनऊ खंडपीठ के डिजिटाइजेशन सेंटर और नवनिर्मित भवन का उद्घाटन भी किया जाएगा। 14 अप्रैल को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की मौजूदगी में समारोह होगा।
देश के पहले ई-कोर्ट की दिशा में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कदम बढ़ा दिया है। मुकदमों को पूरी तरह ऑन लाइन करने के लिए स्थापित डिजिटाइजेशन सेंटर ने काम करना शुरू कर दिया है। यह देश का पहला ऐसा केंद्र है मुकदमों की फाइलें स्कैन कर डिजिटल फार्म में तब्दील करेगा। इसका सीधा लाभ आम जनता को मिलेगा। कोई भी अपने मुकदमे की फाइल एक क्लिक में कंप्यूटर पर देख सकेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड ने मंगलवार को मीडिया से इससे जुड़ी जानकारियां साझा की। डिजिटाइजेशन सेंटर का उद्घाटन भारत के मुख्य न्यायाधीश 12 मार्च को शाम को करेंगे।
हाईकोर्ट के मीडिएशन सेंटर के बगल स्थित गर्वनमेंट प्रेस की पुरानी बिल्डिंग में हाईकोर्ट का सेंटर फॉर इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी स्थापित किया गया है। पुराने भवन को आधुनिक रूप में लाने के लिए सिविल इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों ने दिन रात मेहनत की। यह काम चुनौती पूर्ण रहा। सेंटर में करीब एक हजार कर्मचारियों को फाइलें छांटने, वर्गीकृत करने और स्कैन करने के काम में लगाया गया है। पहले चरण में लगभग एक करोड़ निस्तारित मुकदमों की फाइलों को डिजिटाइज करने का लक्ष्य है। एक फाइल के औसतन 50 पेज स्कैन किए जाएंगे। फाइलों से महत्वपूर्ण हिस्से छांटने की जिम्मेदारी न्यायिक अधिकारियों को दी गई है।
मुख्य न्यायमूर्ति ने बताया कि चूंकि हाईकोर्ट कोर्ट ऑफ रिकार्ड होता है, इसलिए दस्तावेजों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया है। सुरक्षा के लिहाज से यह सबसे संवेदनशील केंद्र है। सेंटर में सुरक्षा संबंधी सभी आवश्यक प्रबंध किए गए हैं। डाटा सुरक्षित रखने और बैकअप का भी प्रबंध है। इलाहाबाद और लखनऊ खंडपीठ के सर्वर आपस में जुड़े होंगे और दोनों एक दूसरे का बैकअप रखेंगे। प्राकृतिक आपदा आदि से डाटा नष्ट न होने पाए इसका भी प्रबंध किया गया है। चीफ जस्टिस ने बताया कि दो वर्ष पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट का कार्यभार संभालने के बाद यहां फाइलों के रखरखाव की समस्या देखने को मिली। फाइलों की संख्या इतनी अधिक है कि कहीं भी रखने की जगह नहीं बची। कर्मचारियों की सेहत पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा था। इस समस्या के समाधान के लिए फाइलों को डिजिटाइज करने का निर्णय लिया गया। प्रारंभ में यह काम ट्रिपल आईटी को सौंपा गया था। बाद में स्टॉक होल्डिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया को इसका जिम्मा दिया गया। जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र की समिति डिजिटाइजेशन कार्य की निगरानी कर रही है।
डिजिटाइजेशन सेंटर का कुल क्षेत्रफल 40 हजार वर्ग मीटर है। तीन मंजिला इमारत के भूमितल में 30 लाख फाइलें स्टोर करने की क्षमता है। यहां वीडियो कांफ्रेंसिंग, अधिकारियों के बैठने के चैंबर आदि की व्यवस्था रहेगी। डाटा स्कैनिंग का काम प्रथम तल पर होगा। चौबीस घंटे अबाध बिजली के लिए दो अलग फीडर दिए गए हैं। इसके अलावा ध्वनि रहित दो जनरेटर भी उपलब्ध कराए गए हैं।
डिजिटाइजेशन सेंटर में स्कैनिंग का कार्य पूरा होने के बाद इसे आम लोगों के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा। इंटरनेट की सहायता से हाईकोर्ट की वेबसाइट पर कोई भी व्यक्ति वांछित मुकदमे के संबंध में पूरी जानकारी एक क्लिक पर हासिल कर सकेगा। इससे मुकदमों में पारदर्शिता आएगी और वादकारियों को सूचनाओं लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
मुख्य न्यायमूर्ति ने बताया कि प्रदेश सरकार ने ई-स्टांपिंग को मंजूरी दे दी है। यह काफी सस्ता और सुविधाजनक होगा तथा ई स्टांपिंग से तमाम प्रकार के फ्रॉड को भी रोका जा सकेगा। डिजिटाइजेशन सेंटर के साथ ही ई-कोर्ट प्रोजेक्ट भी काम करेगा जो भविष्य में हाईकोर्ट को पूरी तरह पेपर लेस और ई-कोर्ट बनाने की दिशा में पहला कदम है।
हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में 19 मार्च को कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। लखनऊ खंडपीठ के डिजिटाइजेशन सेंटर और नवनिर्मित भवन का उद्घाटन भी किया जाएगा। 14 अप्रैल को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की मौजूदगी में समारोह होगा।