सुख, सद्बुद्धि, शांति, ऐश्वर्य व ज्ञान प्रदायिनी जगजननी मां दुर्गा के आराधना के साथ ही वांसतिक नवरात्र शुरू हो गया। शुक्रवार की सुबह कलश स्थापना कर मां दुर्गा के नौ रूपाें में प्रथम शैलपुत्री की भक्तों ने पूजा-अर्चना की।
कलश स्थापना व हवन पूजन के बीच भक्ताें ने मां की स्तुति की व व्रत का शुभारंभ किया। मंदिर पहुंचे भक्तों ने पूजन-अर्चन कर घंटा-घड़ियाल की गूंज के साथ ही जयकारे लगाए। मंदिराें में सुबह से ही भक्ताें का शुरू हुआ आना जाना देर शाम तक चलता रहा।
या देवी सर्वभूतेषु प्रकृति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम: के मंत्रोच्चार के बीच शुक्रवार को मां दुर्गा के पहले स्वरूप और शैलराज हिमालय की पुत्री सुख-समृद्धि की देवी शैलपुत्री की पूजा अर्चना की गई।
मंदिरों में कई तरह के फूलों से सजा मां का दरबार महक उठा। घरों में कलश स्थापना के बाद भक्तों ने पूजा-अर्चना की। अमृत की अधिष्ठात्री, यज्ञों की विधात्री विश्वरूपिणी मां भगवती की आराधना के लिए शहर के देवी मंदिराें बड़ी देवी माता मंदिर, अन्नपूर्णा माता मंदिर, संतोषी माता मंदिर, मुड़कटी माता मंदिर, पूर्वी देवी माता मंदिर, फूलमती माता मंदिर, छोटी काली माता मंदिर में भोर होते से ही देवी भक्ताें का आना शुरू हो गया।
भक्तों ने माता के जयकारे लगाए व घंटा-घड़ियाल की गूंज के बीच देवी की आराधना की। नवरात्र के पहले दिन से ही कई देवी भक्ताें ने अपने व्रत की शुरूआत की। कई तरह के फूलों व आकर्षक चुनरी से सजी माता की मूर्तियाें को फल, फूल अर्पित कर धूप, दीप से पूजन किया गया। शाम को मंदिरों में भीड़ के चलते भक्तों ने कतारबद्घ होकर दर्शन किया।
सुख, सद्बुद्धि, शांति, ऐश्वर्य व ज्ञान प्रदायिनी जगजननी मां दुर्गा के आराधना के साथ ही वांसतिक नवरात्र शुरू हो गया। शुक्रवार की सुबह कलश स्थापना कर मां दुर्गा के नौ रूपाें में प्रथम शैलपुत्री की भक्तों ने पूजा-अर्चना की।
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कलश स्थापना व हवन पूजन के बीच भक्ताें ने मां की स्तुति की व व्रत का शुभारंभ किया। मंदिर पहुंचे भक्तों ने पूजन-अर्चन कर घंटा-घड़ियाल की गूंज के साथ ही जयकारे लगाए। मंदिराें में सुबह से ही भक्ताें का शुरू हुआ आना जाना देर शाम तक चलता रहा।
या देवी सर्वभूतेषु प्रकृति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम: के मंत्रोच्चार के बीच शुक्रवार को मां दुर्गा के पहले स्वरूप और शैलराज हिमालय की पुत्री सुख-समृद्धि की देवी शैलपुत्री की पूजा अर्चना की गई।
मंदिरों में कई तरह के फूलों से सजा मां का दरबार महक उठा। घरों में कलश स्थापना के बाद भक्तों ने पूजा-अर्चना की। अमृत की अधिष्ठात्री, यज्ञों की विधात्री विश्वरूपिणी मां भगवती की आराधना के लिए शहर के देवी मंदिराें बड़ी देवी माता मंदिर, अन्नपूर्णा माता मंदिर, संतोषी माता मंदिर, मुड़कटी माता मंदिर, पूर्वी देवी माता मंदिर, फूलमती माता मंदिर, छोटी काली माता मंदिर में भोर होते से ही देवी भक्ताें का आना शुरू हो गया।
भक्तों ने माता के जयकारे लगाए व घंटा-घड़ियाल की गूंज के बीच देवी की आराधना की। नवरात्र के पहले दिन से ही कई देवी भक्ताें ने अपने व्रत की शुरूआत की। कई तरह के फूलों व आकर्षक चुनरी से सजी माता की मूर्तियाें को फल, फूल अर्पित कर धूप, दीप से पूजन किया गया। शाम को मंदिरों में भीड़ के चलते भक्तों ने कतारबद्घ होकर दर्शन किया।
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