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झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स के रहने को बने हॉस्टल अब चमक जाएंगे। हॉस्टल के पुनरोद्धार के लिए शासन ने पांच करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। कॉलेज के पांच हॉस्टल अभी बद्तर हालत में हैं।
मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल्स अभी बदतर स्थिति में हैं। सबसे खराब हालात प्रसाधन की है। प्रसाधन की दीवारें चटकी हुई हैं और छत से पानी टपकता है। छज्जे भी कमजोर हैं, इस कारण कभी भी कोई हादसा होने का खतरा बना रहता है। खाना खाने के लिए बनी मेस की हालत भी ठीक नहीं है। हॉस्टल की बाहरी दीवारें भी टूटी हुईं हैं, जिससे जानवर कभी भी अंदर आ जाते हैं।
एक बार जूनियर डॉक्टर को कुत्ता काटकर घायल भी कर चुका है। इसके अलावा सुबह-शाम दो बार ही जूनियर डॉक्टरों को पानी मिल पाता है। कुछ हॉस्टलों में वाटर कूलर भी खराब पड़े हुए हैं। हॉस्टल की दीवारें काफी पुरानी हो जाने के कारण अब कमरों में सीलन भी आने लगी है। कमरों के दरवाजे भी टूटे पड़े हैं। अगर कानपुर, लखनऊ मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल्स की झांसी से तुलना की जाए तो यहां की स्थिति बहुत ही बद्तर है।
हॉस्टल्स की समस्या को मद्देनजर रखते हुए मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ने शासन से बजट मांगा था। शासन ने हॉस्टल के पुनरोद्धार के लिए पांच करोड़ रुपये बजट कॉलेज को भेज दिया है। प्राचार्य डॉ. एनएस सेंगर ने बताया कि शासन से बजट मिलते ही इसको रिलीज भी कर दिया गया है। जल्द ही हॉस्टल चमक जाएंगे।
शिक्षकों के घरों को भी मिले त्एक करोड़
हॉस्टल्स के अलावा शिक्षकों के घरों के लिए भी शासन ने एक करोड़ रुपये दिए हैं। शिक्षकों के घरों की स्थिति भी कमोबेश हॉस्टल्स की तरह ही है। घरों की छतें पुरानी हो जाने से बारिश का पानी टपकता है। काफी समय से मेंटीनेंस नहीं होने से यह स्थिति बन गई है।
झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स के रहने को बने हॉस्टल अब चमक जाएंगे। हॉस्टल के पुनरोद्धार के लिए शासन ने पांच करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। कॉलेज के पांच हॉस्टल अभी बद्तर हालत में हैं।
मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल्स अभी बदतर स्थिति में हैं। सबसे खराब हालात प्रसाधन की है। प्रसाधन की दीवारें चटकी हुई हैं और छत से पानी टपकता है। छज्जे भी कमजोर हैं, इस कारण कभी भी कोई हादसा होने का खतरा बना रहता है। खाना खाने के लिए बनी मेस की हालत भी ठीक नहीं है। हॉस्टल की बाहरी दीवारें भी टूटी हुईं हैं, जिससे जानवर कभी भी अंदर आ जाते हैं।
एक बार जूनियर डॉक्टर को कुत्ता काटकर घायल भी कर चुका है। इसके अलावा सुबह-शाम दो बार ही जूनियर डॉक्टरों को पानी मिल पाता है। कुछ हॉस्टलों में वाटर कूलर भी खराब पड़े हुए हैं। हॉस्टल की दीवारें काफी पुरानी हो जाने के कारण अब कमरों में सीलन भी आने लगी है। कमरों के दरवाजे भी टूटे पड़े हैं। अगर कानपुर, लखनऊ मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल्स की झांसी से तुलना की जाए तो यहां की स्थिति बहुत ही बद्तर है।
हॉस्टल्स की समस्या को मद्देनजर रखते हुए मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ने शासन से बजट मांगा था। शासन ने हॉस्टल के पुनरोद्धार के लिए पांच करोड़ रुपये बजट कॉलेज को भेज दिया है। प्राचार्य डॉ. एनएस सेंगर ने बताया कि शासन से बजट मिलते ही इसको रिलीज भी कर दिया गया है। जल्द ही हॉस्टल चमक जाएंगे।
शिक्षकों के घरों को भी मिले त्एक करोड़
हॉस्टल्स के अलावा शिक्षकों के घरों के लिए भी शासन ने एक करोड़ रुपये दिए हैं। शिक्षकों के घरों की स्थिति भी कमोबेश हॉस्टल्स की तरह ही है। घरों की छतें पुरानी हो जाने से बारिश का पानी टपकता है। काफी समय से मेंटीनेंस नहीं होने से यह स्थिति बन गई है।