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दोआबा में माह भर से चरमराई विद्युत व्यवस्था ने किसानों का हाल बेहाल कर रखा है। खेतों में रोपी गई धान की फसलें पानी के अभाव में चौपट हो रही हैं तो रोस्टर के मुताबिक बिजली न मिलने से नलकूप के भरोसे खेती करने वाले कई किसान अभी तक धान की रोपाई नहीं कर सके। जिन लोगों ने कर भी लिया है उनके खेतों में सिंचाई के अभाव में उग रहे खर पतवार फसलों को नष्ट कर रहे हैं। जिम्मेदार हैं कि उपभोक्ताओं की शिकायत का उन पर कोई असर ही नहीं दिख रहा है।
दोआबा की ग्राम सभाओं में जुलाई के पहले सप्ताह से ही बिजली आपूर्ति का रोस्टर धड़ाम हो गया। बारिश शुरू होने के बाद कब और किस फीडर की लाइन ठप हो जाए कोई गारंटी नहीं रही। पूरे माह भर में ग्रामीण उपभोक्ताओं को पखवारे भर की बिजली भी नसीब नहीं हो सकी। इसका सबसे ज्यादा असर नलकूप के भरोसे खेती करने वाले किसानों पर पड़ा। लक्ष्य के अनुरूप किसानों ने खेतों में 70 फीसदी धान की फसल का किसी तरह रोपाई करा लिया पर 30 फीसदी उनके खेत आज भी खाली पड़े हैं।
उपभोक्ताओं की मानें तो जो आपूर्ति उपभोक्ताओं को मिली भी वह लो वोल्टेज का शिकार रही। इसके चलते नलकूपों से पानी ही नहीं निकल रहा है। आपूर्ति ठीक से न मिलने के कारण आज भी किसान खेतों में धान रोपाई की बाट जोह रहे हैं। दूसरी प्रमुख समस्या यह रही कि जिन किसानों ने खेतों में धान की रोपाई कर ली वह पानी की भराई कर दवा का छिड़काव नहीं कर पा रहे। इसके चलते उनकी फसलों की प्रगति तो थम ही गई है उग रहे खरपतवार फसलों को नष्ट कर रहे हैं।
पखवारे भर लो वोल्टेज की रही समस्या
दोआबा में जुलाई के पहले सप्ताह से ही बिजली की आपूर्ति लो वोल्टेज का शिकार हो गई। यह समस्या माह के आखिरी सप्ताह तक बरकरार रही। चार दिन पहले से बिजली के वोल्टेज में कुछ सुधार हुआ। लो वोल्टेज के दौरान स्थिति यह थी कि नलकूपों का चलना तो दूर बल्ब भी टिमटिमाते नजर आते थे। ऐसे में मिल रही बिजली भी किसी काम की नहीं रही।
जर्जर तार आपूर्ति में बन रहे बाधक
जुलाई महीने में बारिश शुरू होने के बाद ही किसान खरीफ की खेती शुरू करता है। इस साल भी ऐसा ही हुआ लेकिन बारिश के शुरू होते ही जर्जर तारों के टूटकर गिरने का सिलसिला शुरू हो गया। इससे आए दिन किसी न किसी फीडर की बिजली आपूर्ति बाधित रहती है। उपकेंद्रों में तैनात सरकारी लाइनमैन तो काम करते नहीं। प्राइवेट लाइनमैन भी आए दिन हड़ताल पर रहते हैं। इसके चलते टूटे तार को जुड़वाने के लिए किसानों को कई दिनों तक इधर-उधर भटकना पड़ा। इसका असर भी धान रोपाई पर पड़ा।
गांवों को विद्युत आपूर्ति का रोस्टर 12 घंटे का शासन ने निर्धारित कर रखा है। मैंने अभी हाल ही में कार्यभार संभाला है। जहां भी अव्यवस्था होगी उसे सुधरवाते हुए उपभोक्ताओं को रोस्टर के मुताबिक आपूर्ति देने का प्रयास किया जाएगा।
प्रभाकर पांडेय, एक्सईएन विद्युत
मनौरी उपकेंद्र के असरावल फीडर से जुड़े 15 गांवों की आपूर्ति तीन दिन से ठप है। यह समस्या 11 हजार लाइन का तार टूटने से उत्पन्न हुई। उपभोक्ताओं ने इसकी जानकारी जेई को दी। तीन दिन बीत जाने के बाद भी लापरवाह जेई तार नहीं जुड़वा सके। कर्मचारियों की लापरवाही को लेकर उपभोक्ता गुस्से में उबल रहे हैं।
असरावल फीडर से इलाके के तेवरा, मेड़वारा, अकबरपुर, लोकीपुर, कसेंदा, काठगांव समेत 15 गांवों को बिजली आपूर्ति की जाती है। तीन दिन पहले बारिश के दौरान चली तेज हवा से 11 हजार का ढीला तार आपस में छू गया। स्पार्किंग होने से तार टूटकर जमीन पर गिर गया। घटना के बाद से संबंधित गांवों की आपूर्ति ठप हो गई। इलाके के फूलचंद्र, रामसजीवन, शमीम अहमद, अमरनाथ, समर बहादुर आदि उपभोक्ताओं का आरोप है कि शिकायत जेई उमेश चंद्र से उसी दिन की गई है। तीन दिन बीत जाने के बाद भी टूटा तार नहीं जुड़वाया जा सका। इसे लेकर संबंधित गांवों के उपभोक्ताओं में महकमे के जिम्मेदार के प्रति नाराजगी है। सोमवार को आपूर्ति बहाल नहीं हुई तो उपभोक्ता सड़क पर उतर नाराजगी व प्रदर्शन कर सकते हैं। मामले में जेई उमेश चंद्र से संपर्क साधा गया तो उनका मोबाइल बंद मिला।
दोआबा में माह भर से चरमराई विद्युत व्यवस्था ने किसानों का हाल बेहाल कर रखा है। खेतों में रोपी गई धान की फसलें पानी के अभाव में चौपट हो रही हैं तो रोस्टर के मुताबिक बिजली न मिलने से नलकूप के भरोसे खेती करने वाले कई किसान अभी तक धान की रोपाई नहीं कर सके। जिन लोगों ने कर भी लिया है उनके खेतों में सिंचाई के अभाव में उग रहे खर पतवार फसलों को नष्ट कर रहे हैं। जिम्मेदार हैं कि उपभोक्ताओं की शिकायत का उन पर कोई असर ही नहीं दिख रहा है।
दोआबा की ग्राम सभाओं में जुलाई के पहले सप्ताह से ही बिजली आपूर्ति का रोस्टर धड़ाम हो गया। बारिश शुरू होने के बाद कब और किस फीडर की लाइन ठप हो जाए कोई गारंटी नहीं रही। पूरे माह भर में ग्रामीण उपभोक्ताओं को पखवारे भर की बिजली भी नसीब नहीं हो सकी। इसका सबसे ज्यादा असर नलकूप के भरोसे खेती करने वाले किसानों पर पड़ा। लक्ष्य के अनुरूप किसानों ने खेतों में 70 फीसदी धान की फसल का किसी तरह रोपाई करा लिया पर 30 फीसदी उनके खेत आज भी खाली पड़े हैं।
उपभोक्ताओं की मानें तो जो आपूर्ति उपभोक्ताओं को मिली भी वह लो वोल्टेज का शिकार रही। इसके चलते नलकूपों से पानी ही नहीं निकल रहा है। आपूर्ति ठीक से न मिलने के कारण आज भी किसान खेतों में धान रोपाई की बाट जोह रहे हैं। दूसरी प्रमुख समस्या यह रही कि जिन किसानों ने खेतों में धान की रोपाई कर ली वह पानी की भराई कर दवा का छिड़काव नहीं कर पा रहे। इसके चलते उनकी फसलों की प्रगति तो थम ही गई है उग रहे खरपतवार फसलों को नष्ट कर रहे हैं।
पखवारे भर लो वोल्टेज की रही समस्या
दोआबा में जुलाई के पहले सप्ताह से ही बिजली की आपूर्ति लो वोल्टेज का शिकार हो गई। यह समस्या माह के आखिरी सप्ताह तक बरकरार रही। चार दिन पहले से बिजली के वोल्टेज में कुछ सुधार हुआ। लो वोल्टेज के दौरान स्थिति यह थी कि नलकूपों का चलना तो दूर बल्ब भी टिमटिमाते नजर आते थे। ऐसे में मिल रही बिजली भी किसी काम की नहीं रही।
जर्जर तार आपूर्ति में बन रहे बाधक
जुलाई महीने में बारिश शुरू होने के बाद ही किसान खरीफ की खेती शुरू करता है। इस साल भी ऐसा ही हुआ लेकिन बारिश के शुरू होते ही जर्जर तारों के टूटकर गिरने का सिलसिला शुरू हो गया। इससे आए दिन किसी न किसी फीडर की बिजली आपूर्ति बाधित रहती है। उपकेंद्रों में तैनात सरकारी लाइनमैन तो काम करते नहीं। प्राइवेट लाइनमैन भी आए दिन हड़ताल पर रहते हैं। इसके चलते टूटे तार को जुड़वाने के लिए किसानों को कई दिनों तक इधर-उधर भटकना पड़ा। इसका असर भी धान रोपाई पर पड़ा।
गांवों को विद्युत आपूर्ति का रोस्टर 12 घंटे का शासन ने निर्धारित कर रखा है। मैंने अभी हाल ही में कार्यभार संभाला है। जहां भी अव्यवस्था होगी उसे सुधरवाते हुए उपभोक्ताओं को रोस्टर के मुताबिक आपूर्ति देने का प्रयास किया जाएगा।
प्रभाकर पांडेय, एक्सईएन विद्युत
मनौरी उपकेंद्र के असरावल फीडर से जुड़े 15 गांवों की आपूर्ति तीन दिन से ठप है। यह समस्या 11 हजार लाइन का तार टूटने से उत्पन्न हुई। उपभोक्ताओं ने इसकी जानकारी जेई को दी। तीन दिन बीत जाने के बाद भी लापरवाह जेई तार नहीं जुड़वा सके। कर्मचारियों की लापरवाही को लेकर उपभोक्ता गुस्से में उबल रहे हैं।
असरावल फीडर से इलाके के तेवरा, मेड़वारा, अकबरपुर, लोकीपुर, कसेंदा, काठगांव समेत 15 गांवों को बिजली आपूर्ति की जाती है। तीन दिन पहले बारिश के दौरान चली तेज हवा से 11 हजार का ढीला तार आपस में छू गया। स्पार्किंग होने से तार टूटकर जमीन पर गिर गया। घटना के बाद से संबंधित गांवों की आपूर्ति ठप हो गई। इलाके के फूलचंद्र, रामसजीवन, शमीम अहमद, अमरनाथ, समर बहादुर आदि उपभोक्ताओं का आरोप है कि शिकायत जेई उमेश चंद्र से उसी दिन की गई है। तीन दिन बीत जाने के बाद भी टूटा तार नहीं जुड़वाया जा सका। इसे लेकर संबंधित गांवों के उपभोक्ताओं में महकमे के जिम्मेदार के प्रति नाराजगी है। सोमवार को आपूर्ति बहाल नहीं हुई तो उपभोक्ता सड़क पर उतर नाराजगी व प्रदर्शन कर सकते हैं। मामले में जेई उमेश चंद्र से संपर्क साधा गया तो उनका मोबाइल बंद मिला।