पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री और मुजफ्फरनगर के जमींदार रहे लियाकत अली खां के परिवार की निष्क्रांत संपत्ति श्रेणी की करीब सौ बीघा बेशकीमती जमीन को लेकर एसडीएम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने जमीन को राज्य सरकार के नाम पर दर्ज करने और तहसीलदार को जमीन पर कब्जा लेने को भी कहा है।
यह फैसला भोपा रोड की शहर के अंदर की ग्राम यूसुफपुर महाल में लियाकत अली खां के चाचा रुस्तम अली खां की जमीन के लिए है। अपने निर्णय में कोर्ट ने कहा है कि महाल रुस्तम अली खां के खेवट नंबर 4/1 में लाला रघुराज स्वरूप के नाम की प्रविष्टि शिकमी काश्तकार के रूप में दर्ज थी। कुछ भूमि पर 1360 फसली से पूर्व ही लाला रघुराज स्वरूप ने अवैध तरीके से संक्रमणीय अधिकार अर्जित कर लिए थे और शेष भूमि पर अधिवासी/आसामी अधिकार जमींदारी खात्मा के दौरान वर्ष 1961 में लाला रघुराज स्वरूप को प्राप्त होने थे। भूमि नियमानुसार उसी समय ही नियत अवधि के पश्चात राज्य सरकार में निहित होनी चाहिए थी, परंतु लाला रघुराज स्वरूप ने राज्य सरकार में निहित नहीं होने दी। उन्होंने मूल्यवान भूमियों को हड़पकर राज्य सरकार को क्षति पहुंचाई।
कागजों में हेराफेरी कर कब्जाई थी जमीन: एसडीएम कोर्ट
एसडीएम (उपजिलाधिकारी) कोर्ट ने आदेश में कहा है कि जालसाजी, कूटरचना या कपट से प्राप्त की गई भूमि में लाला रघुराज स्वरूप एवं उनके उत्तराधिकारियों अलोक स्वरूप एवं अनिल स्वरूप निवासी राजभवन, भोपा रोड और ललिता कुमार गुप्ता, कुसुम कुमारी, ओमप्रकाश गुप्ता, अतुल गुप्ता, अपर्णा वारिसान लाला दीपचंद को कोई अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं। एसडीएम ने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि प्रविष्टियों में कूट रचना करने वाले व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिया जाना उचित नहीं है। इसके बाद भी प्रतिवादीगणों को नोटिस भेजकर जवाब व साक्ष्य के लिए अवसर दिया गया। लेकिन कोई जवाब और साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया। हालांकि अनिल स्वरूप का कहना है कि उन्हें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।
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