पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
अष्टभुजा की पहाड़ी पर इन दिनों पत्थर नहीं मिल रहे हैं कि लोग छोटा सा घरौंदा बना सकें । ऐसे में लोग पहले बने घरौंदों के टूटे पत्थरों से नया घरौंदा बना रहे हैं। मान्यता है कि जो लोग नवरात्र में अष्टभुजा पहाड़ पर पत्थरों को जोड़ कर घरौंदा बनाते हैं, उनके मकान बनने की मन्नत अवश्य पूरी होती है।
अष्टभुजा पहाड़ अपने आप में सिद्धि स्थल माना जाता है। कहा जाता है कि यहां आ कर गलत काम करने वाले का निश्चित तौर पर नुकसान होता है। अच्छी सोच और पवित्र मन से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है। वर्षों से यहां नवरात्र में पहुंच कर मां के भक्त पहाड़ के पत्थरों से घरौंदे बनाते हैं। यहां पत्थर से घर बनाने के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं और अपने सपनों का घर मां के आशीर्वाद से प्राप्त करते हैं। जिन लोगों को मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है, वे अपने सगे संबंधियों को लेकर नवरात्र में यहां पहुंचते हैं और उनसे भी घरौंदे बनवाते हैं।
इन दिनों यहां थोड़ी-थोड़ी दूरी पर हजारों घरौंदे बने दिख जाएंगे। कानपुर से आए आलोक गुप्ता ने बताया कि किसी से सुना था कि यहां नवरात्र में घरौंदा बनाने से मकान की अभिलाषा पूरी होती है इसलिए मां के धाम में आया हूं। बिहिया बिहार से आए रोहित शुक्ला का कहना है कि अष्टभुजा पहाड़ की मान्यता को आजमाया तो नहीं जा सकता है लेकिन मां के आशीर्वाद से लाभान्वित जरूर हुआ जा सकता है। मकान की कामना से यहां घरौंदा बना रहा हूं। उम्मीद है मकान बनाने का सपना पूरा होगा।
अष्टभुजा की पहाड़ी पर इन दिनों पत्थर नहीं मिल रहे हैं कि लोग छोटा सा घरौंदा बना सकें । ऐसे में लोग पहले बने घरौंदों के टूटे पत्थरों से नया घरौंदा बना रहे हैं। मान्यता है कि जो लोग नवरात्र में अष्टभुजा पहाड़ पर पत्थरों को जोड़ कर घरौंदा बनाते हैं, उनके मकान बनने की मन्नत अवश्य पूरी होती है।
अष्टभुजा पहाड़ अपने आप में सिद्धि स्थल माना जाता है। कहा जाता है कि यहां आ कर गलत काम करने वाले का निश्चित तौर पर नुकसान होता है। अच्छी सोच और पवित्र मन से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है। वर्षों से यहां नवरात्र में पहुंच कर मां के भक्त पहाड़ के पत्थरों से घरौंदे बनाते हैं। यहां पत्थर से घर बनाने के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं और अपने सपनों का घर मां के आशीर्वाद से प्राप्त करते हैं। जिन लोगों को मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है, वे अपने सगे संबंधियों को लेकर नवरात्र में यहां पहुंचते हैं और उनसे भी घरौंदे बनवाते हैं।
इन दिनों यहां थोड़ी-थोड़ी दूरी पर हजारों घरौंदे बने दिख जाएंगे। कानपुर से आए आलोक गुप्ता ने बताया कि किसी से सुना था कि यहां नवरात्र में घरौंदा बनाने से मकान की अभिलाषा पूरी होती है इसलिए मां के धाम में आया हूं। बिहिया बिहार से आए रोहित शुक्ला का कहना है कि अष्टभुजा पहाड़ की मान्यता को आजमाया तो नहीं जा सकता है लेकिन मां के आशीर्वाद से लाभान्वित जरूर हुआ जा सकता है। मकान की कामना से यहां घरौंदा बना रहा हूं। उम्मीद है मकान बनाने का सपना पूरा होगा।