मौलाना डॉ कल्बे सादिक ने कहा कि मजहब और दीनी तौर पर शिया-सुन्नी सगे भाई हैं। पैगम्बर-ए-इस्लाम की राह पर चलकर जिंदगी को कामयाब बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दीन इंसान के लिए नेमत है, जेहमत नहीं है। दीन के साथ ही दुनियावी तालीम भी जरूरी है।
खालापार के खादरवाला में महरूम हैदर अब्बास के मजलिस-ए-चेहल्लुम में खिताब फरमाते हुए मौलाना कल्बे सादिक ने कहा कि दीन के रास्ते पर चलने वाला इंसान किसी का हक नहीं मारता है। दीन में कोई विरोधाभास नहीं है, केवल दिलों में फितूर छुपा है। अक्ल के लिए इल्म (ज्ञान) जरुरी है। इसके बिना अच्छे-बुरे का फर्क मालूम नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि इल्म के बिना किसी मसले की गहराई और उसका हल नहीं तलाशा जा सकता है।
गरीबी इंसान की सबसे बड़ी दुश्मन है, लेकिन पढ़ा-लिखा इंसान कभी गरीब नहीं होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मजहब-ए-इस्लाम में दीनी तालीम को महत्वपूर्ण बताया है, उतना ही अब दुनियावी तालीम जरुरी है। उन्होंने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में शिया-सुन्नी भाई हैं। आपस में इत्तेफाक दूरियां कम नहीं, बढ़ता है। वहीं, तीन तलाक पर कहा कि कुरआन-ए-पाक, हदीम में तीन तलाक का कहीं भी जिक्र नहीं है। निकाह जिंदगी का मजबूत बंधन है।
इसे तोडऩे वाला और तुड़वाने वाला दोनों ही दीन की नजर में गुनहगार ठहराए गए हैं। उन्होंने बेटियों को तकनीकी तालीम दिलाए जाने के साथ आपस में इत्तेहाद का फलसफा पढ़ाया। पैगम्बर-ए-इस्लाम हजूर साहब के बताए रास्ते पर चलकर दुनियावी और आखिरत की जिंदगी को कामयाब बनाया जा सकता है। मजलिस में हसन अली संभलहेड़ा ने भी खिताब फरमाया। खलील आरफी, जमाल आरफी, अबुजर, रेगम अब्बास, कमर अब्बास आदि मौजूद रहे।
मौलाना डॉ कल्बे सादिक ने कहा कि मजहब और दीनी तौर पर शिया-सुन्नी सगे भाई हैं। पैगम्बर-ए-इस्लाम की राह पर चलकर जिंदगी को कामयाब बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दीन इंसान के लिए नेमत है, जेहमत नहीं है। दीन के साथ ही दुनियावी तालीम भी जरूरी है।
विज्ञापन
खालापार के खादरवाला में महरूम हैदर अब्बास के मजलिस-ए-चेहल्लुम में खिताब फरमाते हुए मौलाना कल्बे सादिक ने कहा कि दीन के रास्ते पर चलने वाला इंसान किसी का हक नहीं मारता है। दीन में कोई विरोधाभास नहीं है, केवल दिलों में फितूर छुपा है। अक्ल के लिए इल्म (ज्ञान) जरुरी है। इसके बिना अच्छे-बुरे का फर्क मालूम नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि इल्म के बिना किसी मसले की गहराई और उसका हल नहीं तलाशा जा सकता है।
गरीबी इंसान की सबसे बड़ी दुश्मन है, लेकिन पढ़ा-लिखा इंसान कभी गरीब नहीं होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मजहब-ए-इस्लाम में दीनी तालीम को महत्वपूर्ण बताया है, उतना ही अब दुनियावी तालीम जरुरी है। उन्होंने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में शिया-सुन्नी भाई हैं। आपस में इत्तेफाक दूरियां कम नहीं, बढ़ता है। वहीं, तीन तलाक पर कहा कि कुरआन-ए-पाक, हदीम में तीन तलाक का कहीं भी जिक्र नहीं है। निकाह जिंदगी का मजबूत बंधन है।
इसे तोडऩे वाला और तुड़वाने वाला दोनों ही दीन की नजर में गुनहगार ठहराए गए हैं। उन्होंने बेटियों को तकनीकी तालीम दिलाए जाने के साथ आपस में इत्तेहाद का फलसफा पढ़ाया। पैगम्बर-ए-इस्लाम हजूर साहब के बताए रास्ते पर चलकर दुनियावी और आखिरत की जिंदगी को कामयाब बनाया जा सकता है। मजलिस में हसन अली संभलहेड़ा ने भी खिताब फरमाया। खलील आरफी, जमाल आरफी, अबुजर, रेगम अब्बास, कमर अब्बास आदि मौजूद रहे।
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।