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पीलीभीत। कृषि कानूनों का विरोध और किसानों की समस्याओं को लेकर भारतीय किसान यूनियन ने टनकपुर हाईवे पर चक्का जाम कर नारेबाजी की। भाजपा सरकार और जनपद के अफसरों पर किसानों का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। डीएम कार्यालय के बाहर भी कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए। करीब तीन घंटे तक प्रदर्शन चला और अंत में प्रतिनिधि मंडल ने एडीएम से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। एडीएम के समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन देने पर कार्यकर्ता चले गए। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।
हाल ही में पास किए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग भाकियू की ओर से पहले से की जा रही है। इसी को लेकर राष्ट्रीय आह्वान पर शुक्रवार को धरना प्रदर्शन और चक्का जाम का ऐलान किया गया था। इसी दौरान जनपद स्तर पर चल रही धान खरीद, कानून व्यवस्था समेत कई समस्याओं को भी आंदोलन में शामिल कर लिया गया। कार्यकर्ताओं के जुटने की आशंका के मद्देनजर सुबह से ही पुलिस-प्रशासन ने खासी तैयारी कर रखी थी। कलक्ट्रेट पहुंचने वाले रास्तों पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी। दोपहर करीब सवा बजे जिलाध्यक्ष सतविंदर सिंह काहलो की अगुवाई में कार्यकर्ता जमा हुए। पहले कलक्ट्रेट मार्ग पर सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। कार्यकर्ता हाथों में लाठी डंडे लिए हुए थे। यहां पंचायत कर प्रशासन और भाजपा सरकार पर किसानों का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। करीब 20 मिनट बाद सभी उठे और टनकपुर हाईवे पर कचहरी तिराहे पर चक्का जाम कर दिया। इसकी सूचना मिलते ही एसडीएम सदर अविनाश चंद्र मौर्य, सीओ सिटी वीरेंद्र विक्रम, कोतवाल श्रीकांत द्विवेदी पुलिस बल के साथ पहुंच गए। 30 मिनट तक हाईवे पर जाम लगाकर नारेबाजी की गई। अधिकारियों ने बातचीत की और एक प्रतिनिधि मंडल को मुलाकात के लिए राजी किया। यहां से जुलूस की शक्ल में कार्यकर्ता डीएम कार्यालय नारेबाजी करते हुए गए। डीएम कार्यालय के बाहर भी धरना दिया गया। फिर जिलाध्यक्ष सतविंदर सिंह काहलो, वरिष्ठ उपाध्यक्ष मंजीत सिंह समेत कुछ कार्यकर्ता प्रतिनिधि मंडल के रूप में एडीएम वित्त एवं राजस्व अतुल सिंह से मिले और ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर प्रदेश सचिव वेदप्रकाश शर्मा, जिला महामंत्री दिनेश कुमार, स्वराज सिंह, रामकरन दिवाकर, गुरमीत सिंही, दर्शन सिंह आदि मौजूद रहे।
एंबुलेंस को दिया निकलने का रास्ता, पर वकील रोके
टनकपुर हाईवे पर चक्का जाम के दौरान किसी को भी निकलने नहीं दिया जा रहा था। वाहनों की कतार लग गई थी। इस बीच अधिकारी वाहनों को पीछे लिंक रोड से निकालने लगे। बड़े वाहनों को एक साइड में खड़ा करा दिया गया। इस बीच चार-पांच एंबुलेंस आ गईं। यह देख अफसर उन्हें निकलवाने को दौड़ पड़े। भाकियू कार्यकर्ताओं ने भी एंबुलेंस को निकलवाने को रास्ता दे दिया। मगर वकीलों के वाहन न निकलने दिएा। इसे लेकर कुछ अधिवक्ताओं ने नाराजगी भी जताई।
धान खरीद पर प्रशासन को घेरा, भ्रष्टाचार गिनाए
धरना देते हुए चल रही पंचायत में भाकियू कार्यकर्ताओं ने कार्यालयों में भ्रष्टाचार होने की भी बात कही। कहा कि किसान से थाना, तहसील, ब्लॉक सभी जगह सुविधा शुल्क की मांग की जाती है। रुपये न देने पर काम नहीं करते। कुछ मामले भी गिनाए। वहीं धान खरीद में धांधली गिनाते हुए प्रशासन को घेरा। कहा कि किसान एक माह से सेंटर पर पड़ा है, मगर धान नहीं बिक पा रहा। कम दाम पर आढ़तों पर बेचना पड़ रहा। फिर भी कागजों में खरीद बढ़ना सीधे तौर पर भ्रष्टाचार है। माधोटांडा में बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में किए गए खुलासे पर सवाल उठाते हुए पुलिस को भी घेरा।
जब बोले- हम भी लाठी लेकर आए हैं, रोका तो संघर्ष होगा
किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं को कलक्ट्रेट की तरफ बढ़ने पर पुलिस ने रोक लिया था। इस पर कार्यकर्ताओं ने तल्ख तेवरों के साथ चेताया। कहा कि पुलिस से उनका कोई विवाद नहीं। प्रशासन अपनी गलती छिपाने को पुलिस को आगे कर देता है। मगर इस बार वह भी लाठी-डंडे लेकर आए हैं। किसान को उसकी बात नहीं कहने दी गई, रोका गया तो संघर्ष पक्का है।
पीलीभीत। कृषि कानूनों का विरोध और किसानों की समस्याओं को लेकर भारतीय किसान यूनियन ने टनकपुर हाईवे पर चक्का जाम कर नारेबाजी की। भाजपा सरकार और जनपद के अफसरों पर किसानों का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। डीएम कार्यालय के बाहर भी कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए। करीब तीन घंटे तक प्रदर्शन चला और अंत में प्रतिनिधि मंडल ने एडीएम से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। एडीएम के समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन देने पर कार्यकर्ता चले गए। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।
हाल ही में पास किए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग भाकियू की ओर से पहले से की जा रही है। इसी को लेकर राष्ट्रीय आह्वान पर शुक्रवार को धरना प्रदर्शन और चक्का जाम का ऐलान किया गया था। इसी दौरान जनपद स्तर पर चल रही धान खरीद, कानून व्यवस्था समेत कई समस्याओं को भी आंदोलन में शामिल कर लिया गया। कार्यकर्ताओं के जुटने की आशंका के मद्देनजर सुबह से ही पुलिस-प्रशासन ने खासी तैयारी कर रखी थी। कलक्ट्रेट पहुंचने वाले रास्तों पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी। दोपहर करीब सवा बजे जिलाध्यक्ष सतविंदर सिंह काहलो की अगुवाई में कार्यकर्ता जमा हुए। पहले कलक्ट्रेट मार्ग पर सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। कार्यकर्ता हाथों में लाठी डंडे लिए हुए थे। यहां पंचायत कर प्रशासन और भाजपा सरकार पर किसानों का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। करीब 20 मिनट बाद सभी उठे और टनकपुर हाईवे पर कचहरी तिराहे पर चक्का जाम कर दिया। इसकी सूचना मिलते ही एसडीएम सदर अविनाश चंद्र मौर्य, सीओ सिटी वीरेंद्र विक्रम, कोतवाल श्रीकांत द्विवेदी पुलिस बल के साथ पहुंच गए। 30 मिनट तक हाईवे पर जाम लगाकर नारेबाजी की गई। अधिकारियों ने बातचीत की और एक प्रतिनिधि मंडल को मुलाकात के लिए राजी किया। यहां से जुलूस की शक्ल में कार्यकर्ता डीएम कार्यालय नारेबाजी करते हुए गए। डीएम कार्यालय के बाहर भी धरना दिया गया। फिर जिलाध्यक्ष सतविंदर सिंह काहलो, वरिष्ठ उपाध्यक्ष मंजीत सिंह समेत कुछ कार्यकर्ता प्रतिनिधि मंडल के रूप में एडीएम वित्त एवं राजस्व अतुल सिंह से मिले और ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर प्रदेश सचिव वेदप्रकाश शर्मा, जिला महामंत्री दिनेश कुमार, स्वराज सिंह, रामकरन दिवाकर, गुरमीत सिंही, दर्शन सिंह आदि मौजूद रहे।
एंबुलेंस को दिया निकलने का रास्ता, पर वकील रोके
टनकपुर हाईवे पर चक्का जाम के दौरान किसी को भी निकलने नहीं दिया जा रहा था। वाहनों की कतार लग गई थी। इस बीच अधिकारी वाहनों को पीछे लिंक रोड से निकालने लगे। बड़े वाहनों को एक साइड में खड़ा करा दिया गया। इस बीच चार-पांच एंबुलेंस आ गईं। यह देख अफसर उन्हें निकलवाने को दौड़ पड़े। भाकियू कार्यकर्ताओं ने भी एंबुलेंस को निकलवाने को रास्ता दे दिया। मगर वकीलों के वाहन न निकलने दिएा। इसे लेकर कुछ अधिवक्ताओं ने नाराजगी भी जताई।
धान खरीद पर प्रशासन को घेरा, भ्रष्टाचार गिनाए
धरना देते हुए चल रही पंचायत में भाकियू कार्यकर्ताओं ने कार्यालयों में भ्रष्टाचार होने की भी बात कही। कहा कि किसान से थाना, तहसील, ब्लॉक सभी जगह सुविधा शुल्क की मांग की जाती है। रुपये न देने पर काम नहीं करते। कुछ मामले भी गिनाए। वहीं धान खरीद में धांधली गिनाते हुए प्रशासन को घेरा। कहा कि किसान एक माह से सेंटर पर पड़ा है, मगर धान नहीं बिक पा रहा। कम दाम पर आढ़तों पर बेचना पड़ रहा। फिर भी कागजों में खरीद बढ़ना सीधे तौर पर भ्रष्टाचार है। माधोटांडा में बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में किए गए खुलासे पर सवाल उठाते हुए पुलिस को भी घेरा।
जब बोले- हम भी लाठी लेकर आए हैं, रोका तो संघर्ष होगा
किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं को कलक्ट्रेट की तरफ बढ़ने पर पुलिस ने रोक लिया था। इस पर कार्यकर्ताओं ने तल्ख तेवरों के साथ चेताया। कहा कि पुलिस से उनका कोई विवाद नहीं। प्रशासन अपनी गलती छिपाने को पुलिस को आगे कर देता है। मगर इस बार वह भी लाठी-डंडे लेकर आए हैं। किसान को उसकी बात नहीं कहने दी गई, रोका गया तो संघर्ष पक्का है।