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बीएचयू में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर चल रहे विरोध का पटाक्षेप दो दिसंबर को होने वाली सेमेस्टर परीक्षा से पहले हो सकता है। आयुर्वेद संकाय के संहिता एवं संस्कृत विभाग में नियुक्ति के लिए 29 नवंबर को साक्षात्कार के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की मांगों पर जवाब देने की तैयारी में हैं। सूत्रों की माने तो पहले इस विभाग के लिए दिसंबर में इंटरव्यू कराने की तैयारी थी, लेकिन इसकी तिथि बदलने का फैसला भी आननफानन में लिया गया।
संस्कृत संकाय में डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति के बाद से ही छात्रों ने तालाबंदी कर 7 से 22 नवंबर तक धरना दिया। धरने पर बैठे छात्रों को मनाने तो कई बार अधिकारी गए लेकिन मांगों पर सहमति बनाने में उन्हें 16 दिन का समय लग गया। बीएचयू प्रशासन ने भी 22 नवंबर को दस दिन के भीतर मांगों पर जवाब देने की लिखित सहमति दी है। दो दिसंबर को दस दिन पूरा हो रहा है।
छात्रों के साथ ही विरोध करने वाले अन्य लोगों ने भी डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति को धर्म विज्ञान संकाय से हटाकर दूसरे जगह करने की मांग प्रशासन से की थी। अब जबकि यहां भी डॉ. फिरोज खान ने आवेदन किया है और इंटरव्यू के लिए जारी सूची में योग्यता, प्रमाण पत्रों के आधार पर मिले नंबरों के अनुसार उसका नाम सबसे ऊपर है।
ऐसे में विरोध का पटाक्षेप करने के लिए माना जा रहा है कि संहिता विभाग में साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी होने के बाद जो भी फैसला आएगा, अब छात्रों को उसी के आधार पर जवाब दिया जाएगा। विश्वस्त सूत्रों की माने तो 29 नवंबर को होने वाले साक्षात्कार को डैमेज कंट्रोल के रूप में भी देखा जा रहा है। अगर डॉ. फिरोज की नियुक्ति संहिता विभाग में हो जाती है, तो धर्म विज्ञान संकाय में तैनाती को लेकर चल रहा विरोध थम सकता है।
नियुक्ति के विरोध में धरना देने वाले छात्रों को जवाब देने का जो समय दिया गया है। उसके भीतर नियमानुसार संबंधित अधिकारियों की ओर से जवाब दिया जाएगा। आयुर्वेद संकाय में नियुक्ति के बाद जवाब देने की जो चर्चाएं हैं, उस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। -डॉ.राजेश सिंह, पीआरओ, बीएचयू
संकाय के शिक्षकों पर फिरोज मामले में न बोलने की नसीहत
संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में डॉ. फिरोज की नियुक्ति के बाद बनारस समेत देश भर में विरोध-समर्थन में उठ रही आवाजों से बीएचयू की किरकिरी भी हुई है। इसमें डॉ. फिरोज और बीएचयू प्रशासन को लेकर तरह-तरह की टिप्पणी और यहां तक नियुक्ति की व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए गए। इस बीच संकाय के शिक्षकों के अलग-अलग बयान भी सामने आए हैं।
मामला बढ़ता देख अब इस प्रकरण में संकाय के शिक्षकों को कुछ न बोलने की नसीहत दी गई है। संकाय प्रमुख प्रो. विंदेश्वरी प्रसाद मिश्र ने एक आदेश जारी कर नियुक्ति प्रकरण पर किसी भी शिक्षक को इस प्रकरण में न बोलने, मीडिया से बातचीत न करने को कहा है। प्रो. मिश्र ने बताया कि आदेश में विश्वविद्यालय के नियमों का हवाला दिया गया है।
राष्ट्रपति भवन, पीएमओ करा सकता है नियुक्ति मामले की जांच
डॉ. फिरोज नियुक्ति प्रकरण में संकाय के पूर्व प्रमुखों, विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को जो शिकायत भेजी है, उसमें विश्वविद्यालय के अधिनियमों का हवाला देते हुए जांच की मांग की गई है। इस बीच शिकायतकर्ताओं में कुछ लोगों ने इसके लिए पीएमओ पहुंचकर वहां अधिकारियाें से मिलकर बातचीत करने का निर्णय लिया है, जिससे प्रकरण में कार्रवाई हो सके। ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले की जांच भी कराई जा सकती है।
बीएचयू में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर चल रहे विरोध का पटाक्षेप दो दिसंबर को होने वाली सेमेस्टर परीक्षा से पहले हो सकता है। आयुर्वेद संकाय के संहिता एवं संस्कृत विभाग में नियुक्ति के लिए 29 नवंबर को साक्षात्कार के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की मांगों पर जवाब देने की तैयारी में हैं। सूत्रों की माने तो पहले इस विभाग के लिए दिसंबर में इंटरव्यू कराने की तैयारी थी, लेकिन इसकी तिथि बदलने का फैसला भी आननफानन में लिया गया।
संस्कृत संकाय में डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति के बाद से ही छात्रों ने तालाबंदी कर 7 से 22 नवंबर तक धरना दिया। धरने पर बैठे छात्रों को मनाने तो कई बार अधिकारी गए लेकिन मांगों पर सहमति बनाने में उन्हें 16 दिन का समय लग गया। बीएचयू प्रशासन ने भी 22 नवंबर को दस दिन के भीतर मांगों पर जवाब देने की लिखित सहमति दी है। दो दिसंबर को दस दिन पूरा हो रहा है।
छात्रों के साथ ही विरोध करने वाले अन्य लोगों ने भी डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति को धर्म विज्ञान संकाय से हटाकर दूसरे जगह करने की मांग प्रशासन से की थी। अब जबकि यहां भी डॉ. फिरोज खान ने आवेदन किया है और इंटरव्यू के लिए जारी सूची में योग्यता, प्रमाण पत्रों के आधार पर मिले नंबरों के अनुसार उसका नाम सबसे ऊपर है।
ऐसे में विरोध का पटाक्षेप करने के लिए माना जा रहा है कि संहिता विभाग में साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी होने के बाद जो भी फैसला आएगा, अब छात्रों को उसी के आधार पर जवाब दिया जाएगा। विश्वस्त सूत्रों की माने तो 29 नवंबर को होने वाले साक्षात्कार को डैमेज कंट्रोल के रूप में भी देखा जा रहा है। अगर डॉ. फिरोज की नियुक्ति संहिता विभाग में हो जाती है, तो धर्म विज्ञान संकाय में तैनाती को लेकर चल रहा विरोध थम सकता है।
नियुक्ति के विरोध में धरना देने वाले छात्रों को जवाब देने का जो समय दिया गया है। उसके भीतर नियमानुसार संबंधित अधिकारियों की ओर से जवाब दिया जाएगा। आयुर्वेद संकाय में नियुक्ति के बाद जवाब देने की जो चर्चाएं हैं, उस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। -डॉ.राजेश सिंह, पीआरओ, बीएचयू
संकाय के शिक्षकों पर फिरोज मामले में न बोलने की नसीहत
संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में डॉ. फिरोज की नियुक्ति के बाद बनारस समेत देश भर में विरोध-समर्थन में उठ रही आवाजों से बीएचयू की किरकिरी भी हुई है। इसमें डॉ. फिरोज और बीएचयू प्रशासन को लेकर तरह-तरह की टिप्पणी और यहां तक नियुक्ति की व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए गए। इस बीच संकाय के शिक्षकों के अलग-अलग बयान भी सामने आए हैं।
मामला बढ़ता देख अब इस प्रकरण में संकाय के शिक्षकों को कुछ न बोलने की नसीहत दी गई है। संकाय प्रमुख प्रो. विंदेश्वरी प्रसाद मिश्र ने एक आदेश जारी कर नियुक्ति प्रकरण पर किसी भी शिक्षक को इस प्रकरण में न बोलने, मीडिया से बातचीत न करने को कहा है। प्रो. मिश्र ने बताया कि आदेश में विश्वविद्यालय के नियमों का हवाला दिया गया है।
राष्ट्रपति भवन, पीएमओ करा सकता है नियुक्ति मामले की जांच
डॉ. फिरोज नियुक्ति प्रकरण में संकाय के पूर्व प्रमुखों, विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को जो शिकायत भेजी है, उसमें विश्वविद्यालय के अधिनियमों का हवाला देते हुए जांच की मांग की गई है। इस बीच शिकायतकर्ताओं में कुछ लोगों ने इसके लिए पीएमओ पहुंचकर वहां अधिकारियाें से मिलकर बातचीत करने का निर्णय लिया है, जिससे प्रकरण में कार्रवाई हो सके। ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले की जांच भी कराई जा सकती है।