न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी
Updated Sun, 22 Mar 2020 11:20 PM IST
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कोरोना वायरस को लेकर मुंबई में हालत ठीक नहीं है। यात्रियों को स्पेशल ट्रेनों के जरिये मुंबई से भेजा जा रहा है। रविवार को जनता कर्फ्यू के दौरान लगभग साढ़े ग्यारह बजे पुणे-गोरखपुर स्पेशल ट्रेन से कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचे कुछ यात्रियों ने अपनी दर्द भरी दास्तान सुनाई। बोले, कि 40 घंटे सिर्फ बिस्किट व पानी पीकर गुजारें। ट्रेन में कुछ भी खाने को नहीं मिला।
यात्री ने बताया कि 20 मार्च की रात 9 बजे पुणे स्पेशल स्टेशन में सवार हुए और 22 मार्च की दोपहर साढ़े ग्यारह बजे वाराणसी कैंट पहुंचे। अब यहां से झारखंड जाना है। पुणे स्थित होटल में दो दिन पहले ही वहां से निकलने के लिए बोल दिया गया था, लेकिन किसी भी ट्रेन में जगह नहीं मिल रही थी, एक दिन व रात स्टेशन पर ही बिता दिया। इसके बाद किसी तरह इस ट्रेन में जगह मिली। सिर्फ बिस्किट व पानी के सहारे पुणे से बनारस पहुंचा हूं।
यात्री धनेश्वर गौड़ ने बताया कि मुंबई से बिहार की ओर से जाने वाली ट्रेनों में बहुत ही मारामारी मची है। एक दिन तो ट्रेन पकड़ने में लग गया। सरकार ने स्पेशल ट्रेन चलाकर बहुत राहत प्रदान की। रेलवे स्टेशन पर खाद्य सामग्री के सहारे ही यात्रियों का सफर पूरा हुआ। पुणे ट्रेन से पहुंचे यात्री तास पासवान व चंदन राय ने बताया कि भूखे पेट पुणे से कैंट पहुंचे हैं। यहां भी अब कुछ खाने को नहीं मिल रहा।
संकटमोचक की भूमिका में रहे खाद्य स्टाल संचालक
जनता कर्फ्यू में यात्रियों के लिए रेलवे स्टेशन के खाद्य स्टाल संचालक संकटमोचक की भूमिका में रहे। कोई 20 घंटे तो कोई 35 घंटे से भूखा पेट रहकर कैंट स्टेशन पहुंचा। इन यात्रियों के लिए खाद्य स्टाल संचालक ही सहारा बने। चिप्स, नमकीन, बिस्किट, लस्सी, मिल्क शेक आदि पैक्ड फूड आइटम की बिक्री अधिक हुई।
नहीं मिले साधन, सर्कुलेटिंग एरिया में गुजरा दिन
बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए बीच-बीच में रोडवेज बस का संचालन किया गया। मगर, अधिकतर समय यात्रियों ने कैंट स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में गुजारा। बनारस स्टेशन के बाहर बने मंदिरों के आसपास यात्रियों की भीड़ दिनभर लगी रही।
कोरोना वायरस को लेकर मुंबई में हालत ठीक नहीं है। यात्रियों को स्पेशल ट्रेनों के जरिये मुंबई से भेजा जा रहा है। रविवार को जनता कर्फ्यू के दौरान लगभग साढ़े ग्यारह बजे पुणे-गोरखपुर स्पेशल ट्रेन से कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचे कुछ यात्रियों ने अपनी दर्द भरी दास्तान सुनाई। बोले, कि 40 घंटे सिर्फ बिस्किट व पानी पीकर गुजारें। ट्रेन में कुछ भी खाने को नहीं मिला।
यात्री ने बताया कि 20 मार्च की रात 9 बजे पुणे स्पेशल स्टेशन में सवार हुए और 22 मार्च की दोपहर साढ़े ग्यारह बजे वाराणसी कैंट पहुंचे। अब यहां से झारखंड जाना है। पुणे स्थित होटल में दो दिन पहले ही वहां से निकलने के लिए बोल दिया गया था, लेकिन किसी भी ट्रेन में जगह नहीं मिल रही थी, एक दिन व रात स्टेशन पर ही बिता दिया। इसके बाद किसी तरह इस ट्रेन में जगह मिली। सिर्फ बिस्किट व पानी के सहारे पुणे से बनारस पहुंचा हूं।
यात्री धनेश्वर गौड़ ने बताया कि मुंबई से बिहार की ओर से जाने वाली ट्रेनों में बहुत ही मारामारी मची है। एक दिन तो ट्रेन पकड़ने में लग गया। सरकार ने स्पेशल ट्रेन चलाकर बहुत राहत प्रदान की। रेलवे स्टेशन पर खाद्य सामग्री के सहारे ही यात्रियों का सफर पूरा हुआ। पुणे ट्रेन से पहुंचे यात्री तास पासवान व चंदन राय ने बताया कि भूखे पेट पुणे से कैंट पहुंचे हैं। यहां भी अब कुछ खाने को नहीं मिल रहा।
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- फोटो : अमर उजाला
संकटमोचक की भूमिका में रहे खाद्य स्टाल संचालक
जनता कर्फ्यू में यात्रियों के लिए रेलवे स्टेशन के खाद्य स्टाल संचालक संकटमोचक की भूमिका में रहे। कोई 20 घंटे तो कोई 35 घंटे से भूखा पेट रहकर कैंट स्टेशन पहुंचा। इन यात्रियों के लिए खाद्य स्टाल संचालक ही सहारा बने। चिप्स, नमकीन, बिस्किट, लस्सी, मिल्क शेक आदि पैक्ड फूड आइटम की बिक्री अधिक हुई।
नहीं मिले साधन, सर्कुलेटिंग एरिया में गुजरा दिन
बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए बीच-बीच में रोडवेज बस का संचालन किया गया। मगर, अधिकतर समय यात्रियों ने कैंट स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में गुजारा। बनारस स्टेशन के बाहर बने मंदिरों के आसपास यात्रियों की भीड़ दिनभर लगी रही।