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अपर जनपद एवं विशेष सत्र न्यायाधीश बीडी भारती ने रंजिशन युवक की हत्या कर लाश रेलवे ट्रैक पर फेंकने के मामले में अभियुक्त को दोषी पाकर आजीवन कारावास और 55 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। दोषी को पुलिस कस्टडी में जेल भेज दिया गया है।
रजबपुर थाना क्षेत्र के गांव कूबी रड़ा निवासी निरंकार सिंह पुत्र पतराम सिंह 22 मार्च 2013 की शाम करीब पांच बजे गांव के ही महेंद्र सिंह पुत्र यादराम के 22 वर्षीय बेटे अनिल को कपड़े खरीदकर लाने के बहाने अपने साथ बुलाकर ले गया था।
रात तक अनिल घर नहीं पहुंचा। इस पर परिजनों ने निरंकार से अनिल के बारे में पूछा, लेकिन वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। अगले दिन दिनभर अनिल को तलाश किया गया लेकिन उसका कहीं कोई सुराग नहीं लग सका। 24 मार्च को अखबार में अज्ञात लाश मिलने की खबर पढ़कर महेंद्र सिंह गांव के कुछ लोगों को साथ लेकर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा।
यहां मृतक की शिनाख्त अपने बेटे अनिल के रूप में की। अनिल की लाश अतरासी रेलवे फाटक के पास रेलवे ट्रैक पर पड़ी मिली थी। हत्यारोपी ने हादसे का रूप देने के लिए लाश को ट्रैक पर फेंक दिया था। पिता की तहरीर पर निरंकार सिंह के खिलाफ अपहरण और हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई।
रंकार सिंह का किसी मामले में कोर्ट में मामला विचाराधीन था और मृतक का पिता उस मामले में गवाह था। इस बात का बदला लेने के लिए निरंकार सिंह ने अनिल की हत्या की थी। शनिवार को अपर जनपद एवं विशेष सत्र न्यायाधीश एससीएसटी बीडी भारती ने मामले की सुनवाई की।
वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी आरबी सिंह, जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता नरेंद्र सिंह सैनी ने जोरदार बहस की। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायाधीश ने निरंकार सिंह पर अपहरण और हत्या का दोष सिद्ध करते हुए उसे आजीवन कारावास व 55 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। दोषी को पुलिस कस्टडी में जेल भेज दिया गया है।
अपर जनपद एवं विशेष सत्र न्यायाधीश बीडी भारती ने रंजिशन युवक की हत्या कर लाश रेलवे ट्रैक पर फेंकने के मामले में अभियुक्त को दोषी पाकर आजीवन कारावास और 55 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। दोषी को पुलिस कस्टडी में जेल भेज दिया गया है।
रजबपुर थाना क्षेत्र के गांव कूबी रड़ा निवासी निरंकार सिंह पुत्र पतराम सिंह 22 मार्च 2013 की शाम करीब पांच बजे गांव के ही महेंद्र सिंह पुत्र यादराम के 22 वर्षीय बेटे अनिल को कपड़े खरीदकर लाने के बहाने अपने साथ बुलाकर ले गया था।
रात तक अनिल घर नहीं पहुंचा। इस पर परिजनों ने निरंकार से अनिल के बारे में पूछा, लेकिन वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। अगले दिन दिनभर अनिल को तलाश किया गया लेकिन उसका कहीं कोई सुराग नहीं लग सका। 24 मार्च को अखबार में अज्ञात लाश मिलने की खबर पढ़कर महेंद्र सिंह गांव के कुछ लोगों को साथ लेकर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा।
यहां मृतक की शिनाख्त अपने बेटे अनिल के रूप में की। अनिल की लाश अतरासी रेलवे फाटक के पास रेलवे ट्रैक पर पड़ी मिली थी। हत्यारोपी ने हादसे का रूप देने के लिए लाश को ट्रैक पर फेंक दिया था। पिता की तहरीर पर निरंकार सिंह के खिलाफ अपहरण और हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई।
रंकार सिंह का किसी मामले में कोर्ट में मामला विचाराधीन था और मृतक का पिता उस मामले में गवाह था। इस बात का बदला लेने के लिए निरंकार सिंह ने अनिल की हत्या की थी। शनिवार को अपर जनपद एवं विशेष सत्र न्यायाधीश एससीएसटी बीडी भारती ने मामले की सुनवाई की।
वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी आरबी सिंह, जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता नरेंद्र सिंह सैनी ने जोरदार बहस की। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायाधीश ने निरंकार सिंह पर अपहरण और हत्या का दोष सिद्ध करते हुए उसे आजीवन कारावास व 55 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। दोषी को पुलिस कस्टडी में जेल भेज दिया गया है।