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हल्द्वानी। कोविड काल में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में एक और आयाम जुड़ गया है। महिला अस्पताल में 12 बेड का स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) स्थापित हो गया है।
महिला अस्पताल कुमाऊं के प्रमुख सरकारी प्रसव केंद्रों में हैं। महिला अस्पताल में प्रतिदिन में 15 से 20 बच्चे जन्म लेते हैं। जन्म के समय पैदा होने वाले कमजोर बच्चों को इलाज के लिए एसटीएच भेजना पड़ता था। वहां बेड फुल होने पर परिजन इलाज के लिए बच्चे को निजी अस्पताल ले जाने को मजबूर होते थे। निजी अस्पताल में भारी बिल का भुगतान भी करना पड़ता था। यहां सालों से एसएनसीयू की मांग उठ रही थी। इसे देखते हुए महिला अस्पताल में 12 बेड का एसएनसीयू शुरू हो गया है।
24 घंटे ऑक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध
एक माह तक के बच्चों को निमोनिया आदि बीमारियां होने पर एसएनसीयू की सुविधा होने से बेहतर इलाज मिल सकेगा। यहां बच्चों के लिए 24 घंटे ऑक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध है। यही नहीं मौसम के अनुसार वातावरण ठंडा और गर्म रखने की व्यवस्था भी होती है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बृजेश बिष्ट ने बताया कि फिलहाल अस्पताल में पैदा होने वाले बच्चों को ही एसएनसीयू में रखा जाएगा।
हल्द्वानी। कोविड काल में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में एक और आयाम जुड़ गया है। महिला अस्पताल में 12 बेड का स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) स्थापित हो गया है।
महिला अस्पताल कुमाऊं के प्रमुख सरकारी प्रसव केंद्रों में हैं। महिला अस्पताल में प्रतिदिन में 15 से 20 बच्चे जन्म लेते हैं। जन्म के समय पैदा होने वाले कमजोर बच्चों को इलाज के लिए एसटीएच भेजना पड़ता था। वहां बेड फुल होने पर परिजन इलाज के लिए बच्चे को निजी अस्पताल ले जाने को मजबूर होते थे। निजी अस्पताल में भारी बिल का भुगतान भी करना पड़ता था। यहां सालों से एसएनसीयू की मांग उठ रही थी। इसे देखते हुए महिला अस्पताल में 12 बेड का एसएनसीयू शुरू हो गया है।
24 घंटे ऑक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध
एक माह तक के बच्चों को निमोनिया आदि बीमारियां होने पर एसएनसीयू की सुविधा होने से बेहतर इलाज मिल सकेगा। यहां बच्चों के लिए 24 घंटे ऑक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध है। यही नहीं मौसम के अनुसार वातावरण ठंडा और गर्म रखने की व्यवस्था भी होती है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बृजेश बिष्ट ने बताया कि फिलहाल अस्पताल में पैदा होने वाले बच्चों को ही एसएनसीयू में रखा जाएगा।