रुड़की। आईआईटी रुड़की के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के 13 छात्रों की एक टीम ने अंतरराष्ट्रीय इंटरनेशनल जेनेटिकली इंजीनियर्ड मशीन (आईजीईएम 2020) प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है। साथ ही संस्थान की टीम भारत सरकार से वित्त पोषण हासिल करने वाली शीर्ष पांच भारतीय टीमों में भी अपना जगह बनाने में कामयाब रही। आईजीईएम का मुख्यालय मैसाचुसेट्स (यूएसए) में है। यह सबसे व्यापक सिंथेटिक बायोलॉजी इनोवेशन प्रोग्राम है और इंडस्ट्री के सबसे सफल लीडर और कंपनियों के लिए एक लांच पैड है। प्रतियोगिता में 36 देशों की 249 टीमों ने हिस्सा लिया। आईआईटी रुड़की की टीम ने ‘प्योमांसर: नोवेल एंटीमाइक्रोबियल ड्रग्स अगेंस्ट एमडीआर इंफेक्शंस’ शीर्षक पर काम किया था। इसका उद्देश्य सीकरसीन्स नामक नए एंटीमाइक्रोबियल को डिजाइन करना था, जो अन्य नेचुरल मोलेक्यूल से प्रेरित एक तंत्र के माध्यम से ड्रग-प्रतिरोधी बैक्टीरिया को मारने में सक्षम साबित हो। इस उपलब्धि पर आईआईटी निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा कि सिंथेटिकबायोलॉजी का प्रयोग चिकित्सा समेत कई अन्य क्षेत्रों में भी किया जाता है। इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर संस्थान और देश का नाम रोशन करने वाली विजेता टीम बधाई की पात्र है। टीम लीडर एवं अंतिम वर्ष की छात्रा संजीवनी मार्चा एवं बायोटेक्नोलॉजी के तृतीय वर्ष के छात्र यश अग्रवाल एवं द्वितीय वर्ष के छात्र सिद्धार्थ सुहास फित्वे ने कहा कि पहले ही प्रयास में स्वर्ण पदक जीतकर वे काफी उत्साहित हैं। टीम में प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर प्रो. रंजना पठानिया, फैकल्टी एडवाइजर प्रो. नवीन के नवानी एवं विजेता टीम के सदस्यों में मुस्कान भांबरी, हरकीरत सिंह अरोड़ा, प्रदुम कुमार, कुशाग्र रुस्तगी, नीतीश वर्मा, सिद्धार्थ सुहास फित्वे, तिष्य नतानी, कार्तिकेय कंसल, लक्ष्य जैन, मिहिर सचदेवा, कनिष्क सुगोत्रा एवं एडवाजर के रूप में डॉ. शिव राम एवं सोमोक भौमिक शामिल हैं।
रुड़की। आईआईटी रुड़की के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के 13 छात्रों की एक टीम ने अंतरराष्ट्रीय इंटरनेशनल जेनेटिकली इंजीनियर्ड मशीन (आईजीईएम 2020) प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है। साथ ही संस्थान की टीम भारत सरकार से वित्त पोषण हासिल करने वाली शीर्ष पांच भारतीय टीमों में भी अपना जगह बनाने में कामयाब रही।
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आईजीईएम का मुख्यालय मैसाचुसेट्स (यूएसए) में है। यह सबसे व्यापक सिंथेटिक बायोलॉजी इनोवेशन प्रोग्राम है और इंडस्ट्री के सबसे सफल लीडर और कंपनियों के लिए एक लांच पैड है। प्रतियोगिता में 36 देशों की 249 टीमों ने हिस्सा लिया। आईआईटी रुड़की की टीम ने ‘प्योमांसर: नोवेल एंटीमाइक्रोबियल ड्रग्स अगेंस्ट एमडीआर इंफेक्शंस’ शीर्षक पर काम किया था। इसका उद्देश्य सीकरसीन्स नामक नए एंटीमाइक्रोबियल को डिजाइन करना था, जो अन्य नेचुरल मोलेक्यूल से प्रेरित एक तंत्र के माध्यम से ड्रग-प्रतिरोधी बैक्टीरिया को मारने में सक्षम साबित हो। इस उपलब्धि पर आईआईटी निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा कि सिंथेटिकबायोलॉजी का प्रयोग चिकित्सा समेत कई अन्य क्षेत्रों में भी किया जाता है। इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर संस्थान और देश का नाम रोशन करने वाली विजेता टीम बधाई की पात्र है। टीम लीडर एवं अंतिम वर्ष की छात्रा संजीवनी मार्चा एवं बायोटेक्नोलॉजी के तृतीय वर्ष के छात्र यश अग्रवाल एवं द्वितीय वर्ष के छात्र सिद्धार्थ सुहास फित्वे ने कहा कि पहले ही प्रयास में स्वर्ण पदक जीतकर वे काफी उत्साहित हैं। टीम में प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर प्रो. रंजना पठानिया, फैकल्टी एडवाइजर प्रो. नवीन के नवानी एवं विजेता टीम के सदस्यों में मुस्कान भांबरी, हरकीरत सिंह अरोड़ा, प्रदुम कुमार, कुशाग्र रुस्तगी, नीतीश वर्मा, सिद्धार्थ सुहास फित्वे, तिष्य नतानी, कार्तिकेय कंसल, लक्ष्य जैन, मिहिर सचदेवा, कनिष्क सुगोत्रा एवं एडवाजर के रूप में डॉ. शिव राम एवं सोमोक भौमिक शामिल हैं।
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