पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
केंद्र सरकार ने आयुर्वेद के विशिष्ट क्षेत्र में परास्नातक डॉक्टरों को ऑपरेशन के प्रशिक्षण की अनुमति दे दी है। आयुष चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति का आईएमए स्थानीय इकाई ने विरोध जताया है। पदाधिकारियों का कहना है कि इससे लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा।
भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) की ओर से जारी अधिसूचना में आयुष डॉक्टरों को 39 सामान्य ऑपरेशन और 19 प्रक्रियाओं की अनुमति दी गई है। इसके लिए सीसीआईएम के नियमन 2016 में संशोधन भी कर दिया गया है। सरकार के इस निर्णय के विरोध में इंडियन मेडिकल एसो. की काशीपुर शाखा के पदाधिकारियों ने रामनगर रोड स्थित आईएमए भवन में पत्रकार वार्ता की।
आईएमए के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एके सिरोही ने कहा कि आयुष डॉक्टर शल्य चिकित्सा में दक्ष नही है। उनकी अनुभव हीनता के कारण इस फैसले के गंभीर दुष्परिणाम होंगे। उन्होंने इस फैसले को वापस लेने का अनुरोध करते हुए कहा कि यदि ऐसा करना संभव न हो तो आयुष डॉक्टरों के लिए शल्य चिकित्सा के मानदंड और तरीके अलग से तय किए जाएं। जो प्राचीन तरीकों का आधुनिक स्वरूप हो। वहां पर डॉ. रवि सिंघल, डॉ. नरेश मेहरोत्रा, डॉ. डीके अग्रवाल, डॉ. अनुराग वर्मा आदि थे।
केंद्र सरकार ने आयुर्वेद के विशिष्ट क्षेत्र में परास्नातक डॉक्टरों को ऑपरेशन के प्रशिक्षण की अनुमति दे दी है। आयुष चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति का आईएमए स्थानीय इकाई ने विरोध जताया है। पदाधिकारियों का कहना है कि इससे लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा।
भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) की ओर से जारी अधिसूचना में आयुष डॉक्टरों को 39 सामान्य ऑपरेशन और 19 प्रक्रियाओं की अनुमति दी गई है। इसके लिए सीसीआईएम के नियमन 2016 में संशोधन भी कर दिया गया है। सरकार के इस निर्णय के विरोध में इंडियन मेडिकल एसो. की काशीपुर शाखा के पदाधिकारियों ने रामनगर रोड स्थित आईएमए भवन में पत्रकार वार्ता की।
आईएमए के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एके सिरोही ने कहा कि आयुष डॉक्टर शल्य चिकित्सा में दक्ष नही है। उनकी अनुभव हीनता के कारण इस फैसले के गंभीर दुष्परिणाम होंगे। उन्होंने इस फैसले को वापस लेने का अनुरोध करते हुए कहा कि यदि ऐसा करना संभव न हो तो आयुष डॉक्टरों के लिए शल्य चिकित्सा के मानदंड और तरीके अलग से तय किए जाएं। जो प्राचीन तरीकों का आधुनिक स्वरूप हो। वहां पर डॉ. रवि सिंघल, डॉ. नरेश मेहरोत्रा, डॉ. डीके अग्रवाल, डॉ. अनुराग वर्मा आदि थे।