न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Updated Mon, 19 Oct 2020 05:15 PM IST
Uttarakhand के कुमाऊं की होनहार बेटी हंसी प्रहरी Haridwar की सड़कों पर खानाबदोश का जीवन जीने को मजबूर है।
हंसी ने दो विषयों अंग्रेजी व राजनीति विज्ञान से एमए किया है। अल्मोड़ा में हवालबाग ब्लॉक के गांव रणखिला निवासी हंसी तब हर किसी का ध्यान अपने तरफ खींचती है, जब वह बेटे का पढ़ाते हुए अंग्रेजी बोलने लगती है।
वह अपने एक बेटे के साथ जगह-जगह भीख मांगकर पेट पाल रही है। हंसी ने बताया कि वह पांच भाई बहनों में सबसे बड़ी है। प्राथमिक से लेकर इंटर तक पढ़ाई गांव में ही हुई है। उच्च शिक्षा कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा कैंपस से की है। वह पढ़ाई के साथ विवि की अन्य शैक्षिक गतिविधियों में भी शामिल होती थी।
वर्ष 2000 वह कॉलेज की छात्रसंघ चुनाव में उपाध्यक्ष चुनी गई। बाद में वह कुमाऊं विश्वविद्यालय में ही लाइब्रेरियन की नौकरी करने लगी जहां चार साल तक नौकरी की। हंसी ने उत्तराखंड बनने के बाद हुए विधानसभा चुनाव में सोमेश्वर सीट (49) से कांग्रेस के प्रदीप टम्टा और भाजपा के राजेश कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
हंसी के दो बच्चे हैं। बड़ी बेटी नानी के पास रहती है। छह साल का बेटा साथ में है। जवाहर लाल नेहरू युवा केंद्र के सचिव सुखवीर सिंह ने बताया कि बेटा सरस्वती शिशु मंदिर मायापुर में दूसरी कक्षा में पढ़ता है। हंसी अपने बेटे को अफसर बनाना चाहती है। हंसी और उसके बच्चे के लिए रहने का कोई ठिकाना हो जाए ताकि बच्चा पढ़कर अच्छा जीवन जी सके।
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