वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन
Updated Mon, 09 Nov 2020 10:00 PM IST
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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सोमवार को द्वितीय विश्वयुद्ध में भाग लेने वाली ब्रिटिश-भारतीय सेना को विशेष श्रद्धांजलि अर्पित की है। यह सेना इतिहास का सबसे बड़ी वॉलंटियर बल था जिसे दूसरे विश्वयुद्ध में अग्रिम मोर्चों पर लड़ाई के लिए तैनात किया गया था। जॉनसन ने नाजी जर्मनी के खिलाफ मित्र देशों की जीत में इस सेना के अहम योगदान के लिए श्रद्धांजलि दी।
रिमेंबर टुगेदर कैंपेन के लिए एक संदेश में जॉनसन ने कहा कि उनके बलिदान को याद रखना और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाना जरूरी है। यह कैंपेन उन लाखों कॉमनवेल्थ सैनिकों के लिए शुरू की गई है जो तत्कालीन ब्रिटिश सम्राज्य के हिस्से के तौर पर युद्ध में शामिल हुए थे। उनका बयान युद्धविराम दिवस की वर्षगांठ से पहले आया है।
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, 'ब्रिटिश भारतीय सेना ने 25 लाख सैनिक युद्ध के मैदान में उतारे थे और यह इतिहास का सबसे बड़ा स्वयंसेवी बल बन गया।' उन्होंने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के हर मंच पर भारत, अफ्रीका और कैरेबियाई देशों के वॉलंटियरों ने जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। युद्धविराम दिवस की वर्षगांठ हर साल 11 नवंबर को मनाई जाती है जो 1918 में प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति की तारीख है।
विपक्षी लेबर पार्टी के नेता सर कीर स्टार्मर ने भी युद्धविराम दिवस की वर्षगांठ से पहले भारतीय सैनिकों के शौर्य की सराहना की। उन्होंने कहा, हम प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सेना के साथ लड़ने वाले 15 लाख भारतीय सैनिकों की वीरता को कभी नहीं भूलेंगे। हम द्वितीय विश्वयुद्ध में लड़ने वाले भारतीय सैनिकों के महत्वपूर्ण योगदान को भी याद रखेंगे।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सोमवार को द्वितीय विश्वयुद्ध में भाग लेने वाली ब्रिटिश-भारतीय सेना को विशेष श्रद्धांजलि अर्पित की है। यह सेना इतिहास का सबसे बड़ी वॉलंटियर बल था जिसे दूसरे विश्वयुद्ध में अग्रिम मोर्चों पर लड़ाई के लिए तैनात किया गया था। जॉनसन ने नाजी जर्मनी के खिलाफ मित्र देशों की जीत में इस सेना के अहम योगदान के लिए श्रद्धांजलि दी।
रिमेंबर टुगेदर कैंपेन के लिए एक संदेश में जॉनसन ने कहा कि उनके बलिदान को याद रखना और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाना जरूरी है। यह कैंपेन उन लाखों कॉमनवेल्थ सैनिकों के लिए शुरू की गई है जो तत्कालीन ब्रिटिश सम्राज्य के हिस्से के तौर पर युद्ध में शामिल हुए थे। उनका बयान युद्धविराम दिवस की वर्षगांठ से पहले आया है।
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, 'ब्रिटिश भारतीय सेना ने 25 लाख सैनिक युद्ध के मैदान में उतारे थे और यह इतिहास का सबसे बड़ा स्वयंसेवी बल बन गया।' उन्होंने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के हर मंच पर भारत, अफ्रीका और कैरेबियाई देशों के वॉलंटियरों ने जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। युद्धविराम दिवस की वर्षगांठ हर साल 11 नवंबर को मनाई जाती है जो 1918 में प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति की तारीख है।
विपक्षी लेबर पार्टी के नेता सर कीर स्टार्मर ने भी युद्धविराम दिवस की वर्षगांठ से पहले भारतीय सैनिकों के शौर्य की सराहना की। उन्होंने कहा, हम प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सेना के साथ लड़ने वाले 15 लाख भारतीय सैनिकों की वीरता को कभी नहीं भूलेंगे। हम द्वितीय विश्वयुद्ध में लड़ने वाले भारतीय सैनिकों के महत्वपूर्ण योगदान को भी याद रखेंगे।