दुनिया के सबसे जघन्य नरसंहारों में से एक माने जाने वाले जलियांवाला बाग हत्याकांड के 100 साल बाद आखिरकार ब्रिटिश सरकार 'गहरा अफसोस' व्यक्त करेगी। लेकिन किसी बड़ी घटना के घटित होने के 100 साल बाद अफसोस करना क्या उस घाव को कम कर देगा? रिपोर्ट के अनुसार कथित तौर पर ब्रिटिश मंत्री घटना की शाताब्दी पर 'गहरे अफसोस' का बयान जारी करने वाले हैं।
अमृतसर के जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को महात्मा गांधी की तरफ से देश में चल रहे असहयोग आंदोलन के समर्थन में हजारों लोग एकत्र हुए थे। जनरल डायर ने इस बाग के मुख्य द्वार को अपने सैनिकों और हथियारंबद वाहनों से रोककर निहत्थी भीड़ पर बिना किसी चेतावनी के 10 मिनट तक गोलियों की बरसात कराई थी।
अमृतसर के जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को महात्मा गांधी की तरफ से देश में चल रहे असहयोग आंदोलन के समर्थन में हजारों लोग एकत्र हुए थे। जनरल डायर ने इस बाग के मुख्य द्वार को अपने सैनिकों और हथियारंबद वाहनों से रोककर निहत्थी भीड़ पर बिना किसी चेतावनी के 10 मिनट तक गोलियों की बरसात कराई थी।