वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडू
Updated Thu, 07 May 2020 08:15 PM IST
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एक तरफ नेपाल में बजट सत्र हंगामेदार होने के आसार हैं तो दूसरी तरफ नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की जगह देश की बागडोर किसी और को सौंपने और ओली को पार्टी की जिम्मेदारी देने के सवाल पर होने वाली सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थाई समिति की बैठक पर सबकी नजर है।
प्रधानमंत्री ओली की सेहत खराब होने की वजह से बुधवार को पार्टी सचिवालय की बैठक बीच में ही रोक दी गई थी क्योंकि ओली बैठक के बीच से ही चले गए थे।
अब पार्टी के दूसरे चेयरमैन और ओली के विरोधी माने जाने वाले पुष्प कमल दहाल प्रचंड ने कहा है कि पार्टी की स्थाई समिति की बैठक एक दो दिनों के भीतर ही होगी।
29 अप्रैल को हुई बैठक में इस बात पर सहमति बन गई थी कि ओली की जगह किसी दूसरे नेता को प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी दी जाएगी और ओली पार्टी की जिम्मेदारी संभालेंगे।
लेकिन ओली ने तब भी यह प्रस्ताव बेहद सफाई के साथ टाल दिया था कि अभी कोरोना संकट के इस गंभीर दौर में और खासकर लॉकडाउन की स्थिति में देश में नेतृत्व परिवर्तन करना ठीक नहीं होगा।
लेकिन उन्होंने खुद ये कहा कि कोरोना संकट खत्म होने के बाद और स्थितियां सामान्य होने के बाद वो खुद ब खुद पद छोड़ देंगे।
लेकिन पार्टी के तमाम नेता और खासकर ओली विरोधी गुट इससे खफा है और चाहता है कि ओली तत्काल पद छोड़ें। प्रचंड गुट बेहद सक्रिय तरीके से इस मुहिम में लगा है।
बुधवार की बैठक में तमाम सदस्यों ने ओली को इस बात के लिए घेरा भी था कि उन्होंने कैसे दो विधेयक बगैर किसी की सहमति के अफरा तफरी में पास करवा लिए और बाद में उन्हें अपने ही फैसले को वापस लेना पड़ा।
इससे पार्टी की और खासकर नेतृत्व की बहुत किरकिरी हुई है। मनमाने फैसले लेने के अलावा ओली पर भ्रष्टाचार के भी कुछ आरोप लगाए गए हैं।
लेकिन सत्ता के खेल में फिलहाल ओली कम समर्थकों के बावजूद प्रचंड पर भारी पड़ रहे हैं। प्रचंड की कोशिश है कि उनकी पसंद का नेता पीएम बने, लेकिन ओली चाहते हैं कि अगर वो पद छोड़ें भी तो उनकी जगह उनका ही कोई विश्वासपात्र पीएम बने।
इसी कश्मकश के बीच शुक्रवार से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र के हंगामेदार होने की आशंका जताई जा रही है। माना जा रहा है कि विपक्ष ने दोनों अध्यादेशों को लागू करने और फिर वापस लेने के मामले पर सत्ताधारी पार्टी और पीएम को घेरने की तैयारी में है।
साथ ही कोरोना की जंग में खास कामयाबी न मिलने को लेकर भी विपक्ष के तेवर गरम हैं।
सार
- जल्द होगी एनसीपी स्थाई समिति की अहम बैठक, बुधवार को अधूरी रही थी बैठक
- लॉकडाउन और कोरोना संकट के साथ ही वापस लिए गए बिल ओली के लिए बने सिरदर्द
- प्रचंड ने कहा, पार्टी की अहम बैठक एकाध दिनों में, होंगे कुछ अहम फैसले
विस्तार
एक तरफ नेपाल में बजट सत्र हंगामेदार होने के आसार हैं तो दूसरी तरफ नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की जगह देश की बागडोर किसी और को सौंपने और ओली को पार्टी की जिम्मेदारी देने के सवाल पर होने वाली सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थाई समिति की बैठक पर सबकी नजर है।
प्रधानमंत्री ओली की सेहत खराब होने की वजह से बुधवार को पार्टी सचिवालय की बैठक बीच में ही रोक दी गई थी क्योंकि ओली बैठक के बीच से ही चले गए थे।
अब पार्टी के दूसरे चेयरमैन और ओली के विरोधी माने जाने वाले पुष्प कमल दहाल प्रचंड ने कहा है कि पार्टी की स्थाई समिति की बैठक एक दो दिनों के भीतर ही होगी।
29 अप्रैल को हुई बैठक में इस बात पर सहमति बन गई थी कि ओली की जगह किसी दूसरे नेता को प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी दी जाएगी और ओली पार्टी की जिम्मेदारी संभालेंगे।
लेकिन ओली ने तब भी यह प्रस्ताव बेहद सफाई के साथ टाल दिया था कि अभी कोरोना संकट के इस गंभीर दौर में और खासकर लॉकडाउन की स्थिति में देश में नेतृत्व परिवर्तन करना ठीक नहीं होगा।
लेकिन उन्होंने खुद ये कहा कि कोरोना संकट खत्म होने के बाद और स्थितियां सामान्य होने के बाद वो खुद ब खुद पद छोड़ देंगे।
लेकिन पार्टी के तमाम नेता और खासकर ओली विरोधी गुट इससे खफा है और चाहता है कि ओली तत्काल पद छोड़ें। प्रचंड गुट बेहद सक्रिय तरीके से इस मुहिम में लगा है।
बुधवार की बैठक में तमाम सदस्यों ने ओली को इस बात के लिए घेरा भी था कि उन्होंने कैसे दो विधेयक बगैर किसी की सहमति के अफरा तफरी में पास करवा लिए और बाद में उन्हें अपने ही फैसले को वापस लेना पड़ा।
इससे पार्टी की और खासकर नेतृत्व की बहुत किरकिरी हुई है। मनमाने फैसले लेने के अलावा ओली पर भ्रष्टाचार के भी कुछ आरोप लगाए गए हैं।
लेकिन सत्ता के खेल में फिलहाल ओली कम समर्थकों के बावजूद प्रचंड पर भारी पड़ रहे हैं। प्रचंड की कोशिश है कि उनकी पसंद का नेता पीएम बने, लेकिन ओली चाहते हैं कि अगर वो पद छोड़ें भी तो उनकी जगह उनका ही कोई विश्वासपात्र पीएम बने।
इसी कश्मकश के बीच शुक्रवार से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र के हंगामेदार होने की आशंका जताई जा रही है। माना जा रहा है कि विपक्ष ने दोनों अध्यादेशों को लागू करने और फिर वापस लेने के मामले पर सत्ताधारी पार्टी और पीएम को घेरने की तैयारी में है।
साथ ही कोरोना की जंग में खास कामयाबी न मिलने को लेकर भी विपक्ष के तेवर गरम हैं।