वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, न्यूयॉर्क
Updated Wed, 03 Jun 2020 07:38 AM IST
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भारतीय मूल के नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और कैलाश सत्यार्थी और अर्थशास्त्री कौशिक बासु समेत 225 वैश्विक नेताओं ने कोरोना वायरस से वैश्विक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को पहुंचे नुकसान से निपटने का मंत्र तलाशने की कोशिश की। इन लोगों ने जी-20 देशों की एक बैठक तत्काल बुलाए जाने की अपील की और महामारी के प्रभावों से निपटने के लिए 25 खरब डॉलर के रिकवरी प्लान लागू करने को मंजूरी दी।
विश्व के 225 पूर्व और वर्तमान नेताओं के हस्ताक्षर वाले पत्र में इन मुद्दों को उठाया गया है। जी-20 देशों ने घोर आर्थिक मंदी की संभावनाओं के बीच 26 मार्च को आपात बैठक बुलाकर महामारी के प्रभावों से निपटने के लिए 50 खरब डॉलर जुटाने की हामी भरी थी। बता दें कि महामारी के चलते विश्व स्तर पर जहां 3.75 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, वहीं इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी करारा झटका दिया है, जिससे लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं।
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में सेन, सत्यार्थी और बासु के अलावा पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री गोर्डन ब्राउन और टोनी ब्लेयर, यूएन के पूर्व महासचिव जनरल बान की-मून, अमेरिकी महासभा की पूर्व अध्यक्ष मारा फर्नांडा एस्प्पिनोसा, श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगे आदि शामिल रहे।
भारतीय मूल के नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और कैलाश सत्यार्थी और अर्थशास्त्री कौशिक बासु समेत 225 वैश्विक नेताओं ने कोरोना वायरस से वैश्विक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को पहुंचे नुकसान से निपटने का मंत्र तलाशने की कोशिश की। इन लोगों ने जी-20 देशों की एक बैठक तत्काल बुलाए जाने की अपील की और महामारी के प्रभावों से निपटने के लिए 25 खरब डॉलर के रिकवरी प्लान लागू करने को मंजूरी दी।
विश्व के 225 पूर्व और वर्तमान नेताओं के हस्ताक्षर वाले पत्र में इन मुद्दों को उठाया गया है। जी-20 देशों ने घोर आर्थिक मंदी की संभावनाओं के बीच 26 मार्च को आपात बैठक बुलाकर महामारी के प्रभावों से निपटने के लिए 50 खरब डॉलर जुटाने की हामी भरी थी। बता दें कि महामारी के चलते विश्व स्तर पर जहां 3.75 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, वहीं इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी करारा झटका दिया है, जिससे लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं।
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में सेन, सत्यार्थी और बासु के अलावा पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री गोर्डन ब्राउन और टोनी ब्लेयर, यूएन के पूर्व महासचिव जनरल बान की-मून, अमेरिकी महासभा की पूर्व अध्यक्ष मारा फर्नांडा एस्प्पिनोसा, श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगे आदि शामिल रहे।