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वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि मिस्र के मकबरे में तकरीबन 3,000 वर्षों से अधिक समय तक के सबसे पुराने पनीर को खोजा गया है। इटली में केटेनिया यूनिवर्सिटी के पुरातत्त्वविदों को 13वीं शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान मिस्र में मेयर ऑफ मेम्फिस नामक मकबरे में पनीर का यह टुकड़ा एक टूटे हुए जार में मिला है। ‘एनालिटिकल कैमिस्ट्री’ नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, 2010 में यह मकबरा रेत में धंस गया था।
लेकिन इसके बाद भी इसमें मौजूद चीजों को खोजने का प्रयास किया जा रहा था। मकबरे में एक साथ कई जार मिले। इनमें से एक जार में एक विशेष प्रकार के ठोस पदार्थ को एक कैनवस कपड़े से ढककर रखा गया था। मिस्र में काहिरा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसका विश्लेषण किया। उन्होंने सफेद रंग के दिखने वाले इस ठोस पदार्थ को अलग-अलग करके उसकी जांच की।
जिसमें उन्होंने पाया कि सफेद रंग के इस पदार्थ को गाय और बकरी के दूध से मिलाकर बनाया गया था। शोधकर्ताओं ने क्रोमैटोग्राफी तकनीक की मदद से इसके अलग-अलग टुकड़ों की जांच करके इसका पता लगाया।
वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि मिस्र के मकबरे में तकरीबन 3,000 वर्षों से अधिक समय तक के सबसे पुराने पनीर को खोजा गया है। इटली में केटेनिया यूनिवर्सिटी के पुरातत्त्वविदों को 13वीं शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान मिस्र में मेयर ऑफ मेम्फिस नामक मकबरे में पनीर का यह टुकड़ा एक टूटे हुए जार में मिला है। ‘एनालिटिकल कैमिस्ट्री’ नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, 2010 में यह मकबरा रेत में धंस गया था।
लेकिन इसके बाद भी इसमें मौजूद चीजों को खोजने का प्रयास किया जा रहा था। मकबरे में एक साथ कई जार मिले। इनमें से एक जार में एक विशेष प्रकार के ठोस पदार्थ को एक कैनवस कपड़े से ढककर रखा गया था। मिस्र में काहिरा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसका विश्लेषण किया। उन्होंने सफेद रंग के दिखने वाले इस ठोस पदार्थ को अलग-अलग करके उसकी जांच की।
जिसमें उन्होंने पाया कि सफेद रंग के इस पदार्थ को गाय और बकरी के दूध से मिलाकर बनाया गया था। शोधकर्ताओं ने क्रोमैटोग्राफी तकनीक की मदद से इसके अलग-अलग टुकड़ों की जांच करके इसका पता लगाया।