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ब्रिटेन के महान मैथेमेटिशियन और कोड-ब्रेकर एलन ट्यूरिंग ने दूसरे युद्ध के दौरान जर्मनी से नाजियों द्वारा भेजे गए एनिग्मा कोड तोड़ने में सफलता हासिल की थी। इस कोड को तोड़ने की वजह से लाखों लोगों की जान बच गई थी।
अब ब्रिटेन सरकार ने फैसला किया है कि उनकी तस्वीर 50 पाउंड के नोट पर लगाई जाएगी। बैंक ऑफ इंग्लैड के गवर्नर मार्क कार्ने ने सोमवार को इसकी घोषणा की। कार्ने ने कहा कि ट्यूरिंग कंप्यूटर साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक होने के साथ वॉर हीरो भी थे।
ट्यूरिंग ने एनिग्मा कोड को तोड़कर ब्रिटेन में लाखों जिंदगियां बचाने में मदद की थी। इन कोड का इस्तेमाल जर्मन सेना युद्ध के दौरान गोपनीय संदेशों की कोडिंग के लिए करती थी। 1930 की शुरुआत में ट्यूरिंग ने यूनिवर्सल मशीन का कॉन्सेप्ट तैयार किया, जो किसी भी कंप्यूटेशनल प्रॉब्लम का हल निकाल सकती थी।
ट्यूरिंग को दौड़ लगाना बहुत पसंद था। बताया जाता है कि पहले विश्व युद्ध के दौरान कई बार मीटिंग में शामिल होने के लिए वे ब्लेशले से लंदन तक 64 किमी दौड़कर जाते थे। बहुत सारे लोग उनको नापसंद भी करते थे और उसकी वजह थी उनका समलैंगिक होना।
उस वक्त समलैंगिक होना गैरकानूनी था। उन्हें विक्टोरियन कानूनों के तहत दोषी माना गया था। ट्यूरिंग ने कारावास के बजाय नपुंसक बनना स्वीकार किया था। उनकी जिंदगी पर दो फिल्में, ब्रेकिंग द कोड और द इमिटेशन गेम भी बनीं। 1954 में जहर की वजह से उनकी मौत हो गई थी।
ब्रिटेन के महान मैथेमेटिशियन और कोड-ब्रेकर एलन ट्यूरिंग ने दूसरे युद्ध के दौरान जर्मनी से नाजियों द्वारा भेजे गए एनिग्मा कोड तोड़ने में सफलता हासिल की थी। इस कोड को तोड़ने की वजह से लाखों लोगों की जान बच गई थी।
अब ब्रिटेन सरकार ने फैसला किया है कि उनकी तस्वीर 50 पाउंड के नोट पर लगाई जाएगी। बैंक ऑफ इंग्लैड के गवर्नर मार्क कार्ने ने सोमवार को इसकी घोषणा की। कार्ने ने कहा कि ट्यूरिंग कंप्यूटर साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक होने के साथ वॉर हीरो भी थे।
ट्यूरिंग ने एनिग्मा कोड को तोड़कर ब्रिटेन में लाखों जिंदगियां बचाने में मदद की थी। इन कोड का इस्तेमाल जर्मन सेना युद्ध के दौरान गोपनीय संदेशों की कोडिंग के लिए करती थी। 1930 की शुरुआत में ट्यूरिंग ने यूनिवर्सल मशीन का कॉन्सेप्ट तैयार किया, जो किसी भी कंप्यूटेशनल प्रॉब्लम का हल निकाल सकती थी।
ट्यूरिंग को दौड़ लगाना बहुत पसंद था। बताया जाता है कि पहले विश्व युद्ध के दौरान कई बार मीटिंग में शामिल होने के लिए वे ब्लेशले से लंदन तक 64 किमी दौड़कर जाते थे। बहुत सारे लोग उनको नापसंद भी करते थे और उसकी वजह थी उनका समलैंगिक होना।
उस वक्त समलैंगिक होना गैरकानूनी था। उन्हें विक्टोरियन कानूनों के तहत दोषी माना गया था। ट्यूरिंग ने कारावास के बजाय नपुंसक बनना स्वीकार किया था। उनकी जिंदगी पर दो फिल्में, ब्रेकिंग द कोड और द इमिटेशन गेम भी बनीं। 1954 में जहर की वजह से उनकी मौत हो गई थी।