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अमेरिका को चेतावनी देते हुए तालिबान ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर अमेरिका अफगानिस्तान नहीं छोड़ेगा तो उसे 1980 के दशक में सोवियत संघ जैसी हार का सामना करना पड़ेगा। बता दें कि अमेरिका अफगानिस्तान से सैनिकों की संख्या में कमी पर विचार कर रहा है।
अफगानिस्तान में सोवियत हमले के 39 साल पूरे होने के मौके पर एक तंज भरे संदेश में तालिबान ने कहा कि अमेरिकी सेनाओं को अपमान का सामना करना पड़ा और वे अपने शीत युद्ध के शत्रु के अनुभव से बहुत कुछ सीख सकते हैं। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक बयान में कहा कि तालिबान और अमेरिका के बीच भविष्य के संबंध संघर्ष के बजाय ‘कूटनीतिक और आर्थिक सिद्धांतों’ पर आधारित होने चाहिए। बता दें कि 1989 में एक दशक के अपने कब्जे, खूनी नागरिक युद्ध को खत्म करते हुए और तालिबान के पनपने के कारण सोवियत को अफगानिस्तान छोड़ना पड़ा था।
अफगानिस्तान से 14 हजार सैनिकों के हटाने के ट्रंप के फैसले की खबर पर फिलहाल तालिबान ने कोई औपचारिक टिप्पणी नहीं की है। हालांकि तालिबान के एक वरिष्ठ कमांडर ने कहा कि उनका समूह बहुत अधिक खुश है। बता दें कि शांति प्रक्रिया में शामिल होने की शर्त के रूप में तालिबान लंबे समय से विदेश फौज को वापस भेजे जाने की मांग कर रहा है।
अमेरिका को चेतावनी देते हुए तालिबान ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर अमेरिका अफगानिस्तान नहीं छोड़ेगा तो उसे 1980 के दशक में सोवियत संघ जैसी हार का सामना करना पड़ेगा। बता दें कि अमेरिका अफगानिस्तान से सैनिकों की संख्या में कमी पर विचार कर रहा है।
अफगानिस्तान में सोवियत हमले के 39 साल पूरे होने के मौके पर एक तंज भरे संदेश में तालिबान ने कहा कि अमेरिकी सेनाओं को अपमान का सामना करना पड़ा और वे अपने शीत युद्ध के शत्रु के अनुभव से बहुत कुछ सीख सकते हैं। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक बयान में कहा कि तालिबान और अमेरिका के बीच भविष्य के संबंध संघर्ष के बजाय ‘कूटनीतिक और आर्थिक सिद्धांतों’ पर आधारित होने चाहिए। बता दें कि 1989 में एक दशक के अपने कब्जे, खूनी नागरिक युद्ध को खत्म करते हुए और तालिबान के पनपने के कारण सोवियत को अफगानिस्तान छोड़ना पड़ा था।
अफगानिस्तान से 14 हजार सैनिकों के हटाने के ट्रंप के फैसले की खबर पर फिलहाल तालिबान ने कोई औपचारिक टिप्पणी नहीं की है। हालांकि तालिबान के एक वरिष्ठ कमांडर ने कहा कि उनका समूह बहुत अधिक खुश है। बता दें कि शांति प्रक्रिया में शामिल होने की शर्त के रूप में तालिबान लंबे समय से विदेश फौज को वापस भेजे जाने की मांग कर रहा है।